नई दिल्ली: आगामी 6 जनवरी को दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) की पहली बैठक का आयोजन किया जाएगा. राज्यपाल विनय सक्सेना की तरफ से इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. इस बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर पर भी फैसला लिया जाएगा. 


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नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 73 के तहत LG विनय सक्सेना को जो अधिकार दिए गए हैं, उसके आधार पर LG ने इस बैठक को मंजूरी दे दी है. इस बैठक में हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव में चुने गए सभी पार्षद मौजूद रहेंगे. 


एकीकरण के बाद पहला चुनाव
दिल्ली नगर निगम पहले 3 भागों में बंटा हुआ था, नगर निगम चुनाव 2022 के पहले तीनों नगर निगम को एक कर दिया गया. एकीकरण के बाद ये पहला चुनाव है, जिसमें AAP ने 15 सालों से MCD में काबिज BJP को बाहर रास्ता दिखाया है. नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को 134, बीजेपी (BJP) को 104, कांग्रेस (Congress) को 9 और अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली है. 


6 जनवरी को होने वाली बैठक में LG द्वारा पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो सभा का संचालन करेगा. इस बैठक में अगर विपक्ष की तरफ से कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया जाता है, तो 6 जनवरी को ही दिल्ली को मेयर और डिप्टी मेयर मिल जाएगा.


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अगर विपक्ष की ओर से अपना मेयर बनाने का दावा किया जाता है, तो नगर निगम में मेयर पद के लिए भी चुनाव कराए जाएंगे. इसमें सभी 250 वार्डों से चुने गए पार्षद मेयर के लिए वोटिंग करेंगे. वोटिंग के बाद जिस भी पार्टी के उम्मीदवार को बहुमत मिलेगा उसे मेयर बनाया जाएगा. चुनाव के बाद से लगातार AAP और BJP द्वारा अपना-अपना मेयर बनाने का दावा किया जा रहा है. 


नियम के अनुसार पहले साल महिला मेयर
नगर निगम में चुने गए सभी पार्षदों का कार्यकाल 5 साल का होता है, लेकिन मेयर एक साल के लिए ही चुना जाता है. इसके साथ ही दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुसार ये भी निर्धारित किया गया है कि पहले साल महिला मेयर चुनी जाएगी, वहीं तीसरे साल अनुसूचित जाति का मेयर होगा. बचे हुए 3 सालों में कोई भी मेयर का चुनाव लड़ सकता है.