Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान सहित 6 अन्य आरोपियों को साल 2010 में दिल्ली के जामिया नगर के एक पुलिस स्टेशन में दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में बरी कर दिया. अदालत ने इस मामले में आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ देते हुए यह फैसला सुनाया है. 


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आसिफ मोहम्मद खान के साथ ही अदालत ने वहाब, सिराज, अकील अहमद, जावेद निसार खान, मुकरम आगा उर्फ ​​मिक्की और नवाब अहमद को धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना), 332 (स्वेच्छा से दंगा करना) के तहत अपराध के लिए बरी कर दिया है. वहीं किसी लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए चोट पहुंचाना, 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), और आईपीसी की धारा 427 (पचास रुपये की क्षति पहुंचाने वाली शरारत) और धारा 3 सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम में आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया है. 


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अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 15 मार्च 2010 को एक पुलिस अधिकारी की शिकायत पर FIR दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया था कि 14 मार्च 2010 को रात करीब 10.45 बजे इलाके के तत्कालीन विधायक आसिफ मोहम्मद खान ने अपने  150-200 समर्थकों के साथ जामिया नगर थाने पहुंचे और  तत्कालीन राज्यसभा सांसद परवेज हाशमी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. 


शिकायत में कहा गया है कि आसिफ मोहम्मद अपने तीन-चार समर्थकों के साथ पुलिस स्टेशन के अंदर आए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने और आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. रात करीब 11.20 बजे परवेज हाशमी (तत्कालीन राज्यसभा सांसद) अपने कुछ समर्थकों के साथ पुलिस स्टेशन आए और उन्हें देखते ही खान के समर्थकों ने उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और दीवारों पर पथराव शुरू कर दिया. 


सभी लोगों को चेतावनी जारी की गई कि यह कानून के खिलाफ है, लेकिन भीड़ नहीं मानी और पथराव जारी रहा. इस घटना में थाने के कर्मचारियों को चोटें आईं और थाने की संपत्ति समेत विधायक खान और सांसद हाशमी की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई.


इस मामले में आरोपियों को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन आरोपी व्यक्तियों को संदेह की सीमा से बाहर उन्हें दोषी साबित करने में विफल रहा. इस वजह से वो संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. 


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