नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने ताहिर हुसैन के ऊपर आरोप तय करते हुए कहा कि उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान ताहिर हुसैन के घर जो भीड़ इकठ्ठा थी उसका उद्देश्य केवल हिंदुओं को टार्गेट करना था. कोर्ट ने ये सब ताहिर हुसैन और 10 अन्य अभियुक्तों पर आरोप तय करते हुए कहा. सोमवार को एडिशनल सेसंस जज ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के बचाव को खारिज करते हुए कहा कि ताहिर दंगों का विक्टिम नहीं था. 


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ताहिर के खिलाफ हैं सुबूत
दिल्ली की कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि तथ्य और सुबूत दिखाते हैं कि ताहिर के घर भीड़ इकठ्ठा हुई थी, कुछ लोगों के पास हथियार और पेट्रोल बॉम्ब भी मौजूद थे. घर में बोरियों में भरकर पत्थर भी रखे गए थे और ये सब कुछ हिंदुओं को टार्गेट करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. कोर्ट ने आगे कहा कि इस तरह की तैयारी जहां घर को बेस बना के इस्तेमाल किया गया और जिस तरह की भीड़ की हरकतें थी वो ये दिखाती हैं कि सब कुछ सुनियोजित तरह से किया जा रहा था केवल हर तरह से हिंदुओं के टार्गेट करने के उद्देश्य से.


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दंगों के दौरान काफी एक्टिव था ताहिर 
कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया से इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर द्वारा जुटाए गए वीडियो दिखाते हैं कि ताहिर हुसैन दंगों के दौरान अपने छत पर काफी एक्टिव था, इस दौरान वो छत पर मौजूद अन्य लोग जिन्होंने अपने चेहरे हेलमेट और दूसरी चीजों से ढक रखा था उनसे काफी बातचीत करते हुए दिख रहा है, साथ ही अपने चेहरे को छुपाए हुए लोग पत्थरबाजी करते हुए देखे जा सकते हैं. बता दें, कोर्ट ने ताहिर हुसैन, रियासत अली, गुलफाम, शाह आलम, राशिद सैफी, अरशद कय्यूम, लियाकत अली, मोहम्मद शादाब, मोहम्मद आबिद और इरशाद अहमद पर आइपीसी की धारा 147, 148, 153A, 323 और 395 के तहत आरोप तय किये हैं.


शिकायतकर्ता का बयान
दरअसल ये पूरा मामला खजूरी खास थाने में अजय गोस्वामी की ओर से दिए गए बयान के बाद दर्ज हुए एफआईआर से जुड़ा है। गोस्वामी का कहना था कि करावल नगर रोड पर भीड़ की ओर से चली गोली उसे लगी थी और वहाँ भीड़ लोगों पर पत्थर और गोली चला रही थी। गोस्वामी का कहना था कि गोली लगने के बाद वो वहीं गिर गया, जिसके बाद उसके चाचा ने कुछ लड़कों की मदद से उसे उपचार के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया.