मनोरंजन कुमार/नई दिल्ली : दीपावली पर सिख समाज के लोग बंदी छोड़ दिवस के रूप में भी मनाते हैं. सोमवार को देश की अलग-अलग जेलों में बंद उन 9 सिख बंदियों की रिहाई की मांग को लेकर तिहाड़ जेल के बाहर प्रदर्शन किया गया, जो सजा पूरी होने के बाद भी रिहा नहीं हो सके हैं. 


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सियासी सिख कैदी रिहाई मोर्चा की अगुवाई में तिहाड़ जेल के बाहर काफी संख्या में सिख संगठनों के लोग एकत्र हुए. इसमें महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जो सिख बंदी तिहाड़ और देश की अलग-अलग जेलों में 25-30 साल से बंद हैं और अपनी सजा पूरी करने के बाद भी रिहा नहीं हो पाए हैं.


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उन्होंने रिहाई न होने की वजह सियासत को बताया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि जल्द से जल्द इन सिख बंदियों को रिहा किया जाए, ताकि उन्हें भी परिवार के साथ दिवाली मनाने का मौका मिल सके. सिख समाज के लोगों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही बंदियों की रिहाई नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरकर और जेल भरो आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे. लोगों का कहना है कि इन बंदियों को न छोड़ने के पीछे चाहे बीजेपी की राजनीति हो या फिर आम आदमी पार्टी की, वह सही नहीं है और संविधान के खिलाफ है. इसलिए सिख बंधुओं को अविलंब जेल से रिहा कर दिया जाना चाहिए.


क्या है इस दिन का इतिहास 


दरअसल दीपावली के दिन सिखों के छठवें गुरु हरगोबिंद साहिब ने ग्वालियर की जेल से 52 राजाओं को जहांगीर के कैद से छुड़ाया था, तब से दीपावली के दिन बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है और यही वजह है कि यह सियासी मोर्चा बंदी कैदियों की रिहाई के लिए हर साल इस दिन तिहाड़ जेल के बाहर धरना प्रदर्शन और अरदास कर इन बंदियों की रिहाई की मांग करता है.