Choti diwali 2023: हिंदू धर्म में यम का दीपक जलाने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. दीया जलाने का हमारे जीवन में काफी महत्व माना जाता है. इस दीये को दीपावली के एक दिन पहले जलाया जाता है. यम के दीपक को गोबर को दीये में जलाया जाता है. इस दीपक को जलाने के लिए दिशा और बत्ती का खास ख्याल रखना चाहिए. इस दीये को सही दिशा में जलाने का काफी महत्व माना जाता है. यम का दीपक जलाने का मकसद है कि सारे लोग यमराज से नरक का द्वार बंद करने और जीवन में सुख समृद्धि लाने की मनोकामना करते हैं. इसे जलाने से पहले समय का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है. 


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दीये को जलाने का सही तरीका
इस बात का खास ख्याल रखें कि यम का दीया गोबर से ही बना हो और इसमें सरसों का तेल डालकर ही जलाएं. इसे अक्सर घर के बड़े द्वारा ही जलाया जाता है. जलाते समय दीये में एक बत्ती या चार बत्ती ही हो इस बात का भी ख्याल रखें. ऐसी मान्याता है कि  लोगों के प्राण लेने का अधिकार केवल यम के पास ही होता है. यही वजह है कि इस दिन यम की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन यमराज से 'प्रभु मेरे और मेरे परिवार के लिए नरक का दरवाजा मत खोलना' ऐसी प्रार्थना की जाती है. इसके साथ ही ये भी बोला जाता है कि मेरे घर में 'सुख समृद्धि का वास हो और दुख हमारे आस-पास भी न फटके. यम के दीपक को शाम के 7 बजे के बाद ही जलाएं और इसमें तेल भरपूर मात्रा में डालें, ताकि ये कम से कम दो ये चार घंटे तो जले ही. 


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यम देवता की ऐसे करें पूजा
छोटी दीवाली के दिन शाम 7 बजे के बाद गोबर से बने दीये को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जला दें. इस दिन दीपक की जगह अगरबत्ती या धूप-बत्ती को जलाकर यम देवता और माता लक्ष्मी को प्रणाम कर और अपने पूर्वजों को याद करें. इतना काम करने के बाद ही उस जगह से हटें. इस दीपक को सभी देवी-देवता को खुश करने के लिए जलाया जाता है. इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यम देवता से प्रार्थना की जाती है.