Om Shaped Shiv Mandir: 22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्‍या में 500 साल बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा हुई, जिसकी भव्‍यता ने देश-विदेश के लोगों को आकर्षित किया. 22 जनवरी के बाद से अब तक लाखों लोग राममंदिर की अद्भुत वास्तुकला को निहारने वहां पहुंच चुके हैं, लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है, जो अपनी बनावट से राम मंदिर को भी टक्कर देने के लिए तैयार हो चुका है. हालांकि इन दोनों ही मंदिरों में एक समानता भी है और वो है इनके निर्माण में इस्तेमाल होने वाला पत्थर. इस पत्थर की कीमत क्या है, इसे जानकार आप हैरत में पड़ सकते हैं. बाजार में इस पत्थर की कीमत 45 रुपये से लेकर 94 रुपये प्रति वर्गफुट तक होती है. 


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29 साल पहले हुआ शिलान्यास 
अब आप जानना चाहते होंगे कि हम आखिर किस मंदिर की बात कर रहे हैं. इस अनूठे मंदिर का नाम है ओम शिव मंदिर, जो कि करीब 29 साल बाद राजस्थान के पाली जिले में बनकर तैयार हो गया है. यह विश्व का पहला ओम आकार का शिव मंदिर है यानी आसमान से देखने पर यह मंदिर ओम आकार का दिखाई देगा. कल यानी 10 फरवरी को इस मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव शुरू होने जा रहा है, जो कि 19 फरवरी तक चलेगा. इस ऐतिहासिक पल को अपनी यादों में संजोने के लिए देशभर की प्रमुख हस्तियों के अलावा कई देशों से आए मेहमान मौजूद रहेंगे. 


250 एकड़ जमीन पर बनाया गया
वर्ष 1995 में ओम आकार के इस एक मात्र मंदिर का शिलान्यास जाडन गांव में किया गया था. इसे 250 एकड़ जमीन पर बनाया गया है. चार मंजिला इस  मंदिर में 108 कमरे इस तरह बनाए गए, जिसने मंदिर को ओम आकार दिया. मंदिर की नींव श्री अलखपूरी सिद्धपीठ परंपरा के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज ने रखी थी. 


2000 पिलर पर खड़ा है स्ट्रक्चर 
मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग के अलावा भगवान शिव की 1008 मूर्ति होंगी. पूरा स्ट्रक्चर 2000 पिलर पर खड़ा है. मंदिर के शिखर की ऊंचाई 135 फीट है. मंदिर के सबसे ऊपरी भाग में शिवलिंग है, जिस पर ब्रह्मांड की आकृति बनी हुई है. ओम मंदिर के चंद्र बिंदु को बनाने के लिए नौ मंजिल का कीर्ति स्तभ स्थपित किया गया है, जिसकी ऊंचाई 42 मीटर है. इस कीर्ति स्तंभ में 12 छोटे मंदिर बने हैं. इस पूरे परिसर में मुख्‍य मंदिर के अलावा शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य जैसे सामाजिक सरोकारों से जुड़े भी कई और भवन हैं जैसे यज्ञवेदी के आकार का दो मंजिला गुरुकुल, स्वास्तिक के आकार का हॉस्टल और तारानुमा हॉस्पिटल।


मंदिर में इस्तेमाल होने वाले पत्थर की खासियत
ओम शिव मंदिर को बनाने ने भरतपुर जिले के रूपवास क्षेत्र स्थित बंसी पहाड़पुर गांव में मिलने वाले लाल और सफेद पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. इसकी विशेषता ये है कि यह करीब 5000 साल तक खराब नहीं हो सकता. न ही इसकी चमक पर कोई असर पड़ता है. बारिश के दिनों में ये पत्थर और चमकता है. इसी पत्थर का इस्तेमाल राम मंदिर और दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर और संसद भवन में किया गया है. 


दर्शन के लिए ऐसे जाएं 
आस्था और भव्यता के इस अद्भुत संगम को अगर आप भी निहारना चाहते हैं तो राजस्थान के पाली जिले में स्थित जाडन गांव जा सकते हैं. आप यहां नेशनल हाईवे 62 के माध्यम से पहुंच सकते हैं या अगर आप फ्लाइट से आने का मन बना रहे हैं तो आपको जोधपुर एयरपोर्ट पर उतरना होगा. यहां से जाडन गांव की दूरी करीब 71 किमी है.