Faridabad Farmer News: फरीदाबाद की पृथला विधानसभा के अटाली गांव में रहने वाले प्रहलाद कालीरमन के अनुसार वह फौजी बनना चाहते थे. लगातार असफलता के बावजूद 'नर हो न निराश करो मन को' अवधारणा के साथ जुटे रहे. ग्रेजुएशन करने के बाद खेती में ही कुछ अलग करने के उद्देश्य से वह दिल्ली पूसा व हरियाणा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे. वहां पूर्व में मौजूद प्रगतिशील किसानों से संपर्क हुआ तो उनसे प्रेरणा लेकर जैविक खेती की बारीकियां सीखीं. कृषि में रोजगार के उद्देश्य के साथ पूरी लगन से मेहनत की. जैविक खेती का तरीका सीखा. फसल लहलहाई तो उनकी किस्मत चमक गई.


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जैविक खेती कर बदली किस्मत
प्रहलाद को कृषि विज्ञान केंद्र ने प्रगतिशील किसान का दर्जा प्रदान किया है. पहलद ने सरकार की किसानों को दी जाने वाली सरकारी योजनाओं को समय-समय पर ट्रेनिंग के माध्यम से समझा और उनका लाभ उठाया, फिर चाहे वह डिपिंग फार्मिंग हो, पॉली फार्मिंग हो या फिर जैविक खेती. उन्होंने जैविक खेती करके फसल में अच्छा मुनाफा कमाया.


लोगों को कर रहे प्रशिक्षित
पॉली फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए पहलाद अब एक फर्म बनाकर लोगों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं. वह अब कृषि विभाग के कार्यक्रमों में किसानों को कृषि की नई तकनीक के बारे में समझाते हैं. प्रशिक्षण के बाद उन्होंने जैविक खेती के लिए अपना पंजीकरण करा लिया. जैविक खेती करने से पहले टमाटर, घिया, भिंडी की फसल से कोई खास आय नहीं होती थी. प्रयोग के बाद अप्रत्याशित परिवर्तन नजर आया. फसल अब डेढ़ गुने दाम पर बिकती है.


जैविक खेती के बढ़ाने कि लिए की फर्म की शुरुआत
उत्पादित फसलों की गुणवत्ता के आधार पर बिक्री अधिक होने की वजह से अब व्यापारियों की मांग के अनुसार माल की कमी हो जाती है. पहलाद सिंह ने बताया कि उन्होंने एक फर्म की शुरुआत भी कर दी है. इसके जरिये वह जैविक खेती को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. उनकी फर्म से अब तक एक, दो बीघे वाले काफी किसान जुड़ चुके हैं. उनका उद्देश्य खेती को केमिकल से मुक्त करना है. इसके अलावा वह कृषि कॉलेजों, केंद्र और प्रदेश सरकार के कार्यक्रमों में व्याख्यान देने भी पहुंचते हैं.


Input: Amit Chaudhary