फसलों को मरता देख किसानों ने दी चेतावनी, कहा-24 घंटे में नहरों में पानी नहीं छोड़ा तो टूट जाएगा धैर्य
फसलों को समय से पानी ना मिलने की वजह से नाराज किसानों ने सोमवार यानी की आज उपायुक्त अजय कुमार नूंह से दो टूक कहा कि अगर 24 घंटे में नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो किसानों को मजबूर लघु सचिवालय नूंह प्रांगण में धरना देने या फिर सड़क जाम करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
कासिम खान/नूंह (मेवात): उजीना ड्रेन में पानी नहीं आने के कारण फसलें सूख रही हैं. फसलों को अपने सामने सूखता देख धरती पुत्र हताश व निराश है. कुदरत बरसात नहीं कर रहा है तो सरकार में बैठे मंत्री व अधिकारी किसानों के दर्द को नहीं सुन रहे हैं. नाराज किसानों ने सोमवार को उपायुक्त अजय कुमार नूंह से दो टूक कहा कि अगर 24 घंटे में नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो किसानों को मजबूर लघु सचिवालय नूंह प्रांगण में धरना देने या फिर सड़क जाम करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
सोमवार यानी की आज उजीना गांव के अलावा आसपास के दर्जन भर गांवों के किसानों ने उपायुक्त अजय कुमार नूंह से मुलाकात कर स्थिति से अवगत कराया. पत्रकारों से बातचीत के दौरान किसानों ने कहा कि कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री डॉ बनवारी लाल, विधायक संजय सिंह सोहना के अलावा सिंचाई विभाग के अधिकारियों से उजीना ड्रेन में पानी छोड़ने की गुहार एक बार नहीं बल्कि बार-बार लगाई.
लेकिन, उसके बावजूद भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही. बाजरे की फसल पकने को तैयार है तो ज्वार की फसल पानी के अभाव में सूख रही है. दोनों ही फसलें सिंचाई नहीं होने के कारण खराब हो चली हैं और आगामी गेहूं व सरसों की फसलों की बिजाई पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं. हद तो तब हो गई जब मवेशियों के पीने तक के लिए तालाबों में पानी नहीं बचा है.
धरतीपुत्र पिछले करीब 10-12 दिन से लगातार नेताओं व अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं और नहरों में पानी छोड़ने की गुहार लगा रहे हैं. परंतु किसी का भी कलेजा इन किसानों की मांग पर पसीजता नहीं दिख रहा है. उपायुक्त अजय कुमार ने किसानों से मुलाकात के दौरान भरोसा दिलाया कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों से उजीना ड्रेन में पानी छोड़ने को लेकर बातचीत की जाएगी और किसानों की इस मांग पर तेजी से अमल किया जाएगा.
अब देखना यह है कि पिछले काफी दिनों से नहरों में पानी छुड़वाने को लेकर अधिकारियों और नेताओं के चक्कर काट रहे किसानों की समस्या का समाधान हो पाती है या फिर किसान धरना देने व सड़क जाम करने को मजबूर होते हैं.