Fatehabad News: पहले घर घर था, मगर अब खंडर में तब्दील हुआ- अपने घर को लौटते बाढ़ पीड़ित
Fatehabad Flood News: फतेहाबाद शहर के साथ लगती ढाणी टाहलीवाली में अपने घरों को लौटे लोग अपने घरों की हालत देखकर रोने को मजबूर हैं. बाढ़ के कारण कई घरों की छतें गिर गई तो कई जगहों पर दीवारें गिर गई. बहुत से घरों की नींवें दरकने से दीवारों में दरारें आ गई हैं.
Fatehabad News: फतेहाबाद में आया सैलाब लोगों को दर्द दे गया है. पानी उतरने के साथ ही लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं. घरों की हालत देख लोगों के आंसू थम नहीं रहे है. फतेहाबाद में बाढ़ग्रस्त इलाकों के घरों में कहीं धंसी नींव तो कहीं जमीन, कहीं गिरी छत तो कहीं दिवार. घरों की दिवारों में दरारों के कारण घरों के अंदर जाने से लोग डरने लगे हैं. इसे देख लोगों के आंखों से पीड़ा छलक रही है, वहीं लोग मदद मिलने की मंशा से देख रहे हैं.
फतेहाबाद में आया सैलाब का पानी तो अब उतरने लगा है, मगर बाढ़ के पानी के उतरने के साथ ही घरों को लौटे लोग अपने घरों की हालत देख कर जार-जार रो रहे हैं. जिन घरों में लोग खुद को महफूज समझते थे, जिनमें रात को चैन की नींद सोते थे. अब उन मकानों में जाते हुए ही लोगों को डर लगने लगा है. घग्गर दरिया में सैलाब के कारण जिले की सैंकड़ों ढाणियां चपेट में आ गई. लोगों को रातों रात अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में आश्रय लेना पड़ा. अब करीब 2 पखवाड़े के बाद जब बाढ़ का पानी उतरने लगा है तो लोग भी अपने घरों को लौटने लगे हैं.
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फतेहाबाद शहर के साथ लगती ढाणी टाहलीवाली में अपने घरों को लौटे लोग अपने घरों की हालत देखकर रोने को मजबूर हैं. बाढ़ के कारण कई घरों की छतें गिर गई तो कई जगहों पर दीवारें गिर गई. बहुत से घरों की नींवें दरकने से दीवारों में दरारें आ गई हैं. हालत यह हो गई है लोग अब अपने ही घरों के अंदर जाने को डरते हैं. दिन तो किसी तरह से बाहर आंगन में या फिर पेड़ की छांव में गुजर जाता है, मगर रात पूरी तरह से जाग कर काटने को मजबूर हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट करने पर गांव टाहली वाली ढाणी में पहुंचे ज़ी मीडिया से ग्रामीणों ने अपना दर्द सांझा करते हुए बताया कि बाढ़ से पहले उनका घर घर था, मगर अब खंडर में तब्दील हो गया है. जगह-जगह आई दरारों के कारण कभी भी मकान गिर सकता है. ग्रामीणों ने बताया कि वे बाढ़ के पानी उतरने के बाद अपने घरों को तो लौट आएं हैं, मगर घरों के अंदर कमरों में जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे. उन्होंने बताया कि अब अभी तक शासन और प्रशासन की ओर से राशन के अलावा कोई मदद उन तक नहीं पहुंची है. ग्रामीणों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें उनके आशियाने बनाने के लिए आर्थिक मदद प्रदान की जाए.
Input: Ajay Mehta