Anant chaturdashi 2022: कब है अनंत चतुर्दशी? 10 दिवसीय गणेशोत्सव का होगा समापन, जानें शुभ व विसर्जन मुहूर्त
Parivartani Ekadashi & Ganesh Visarjan 2022: हिंदू धर्म के अनुसार परिवर्तनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसे पदमा एकादशी, जयंती एकादशी और परिवर्तनी एकादशी जैसे नामों से जाना जाता है. इस दिन दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन हो जाता है.
Anant chaturdashi 2022: हिंदू धर्म के अनुसार, अनंत चतुर्दशी का व्रत लगभग पूरे भारत में रखा जाता है. इस दौरान भगवान विष्णुजी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा के बाद बाजू पर अनंत भी बाधने की परांपरा है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है.
ज्योतिष के अनुसार, अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है. इसलिए इस पर्व का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है और इस दिन दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है. कहते हैं कि महाभारत काल में इस व्रत की शुरूआत हुई थी. इस बार अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर यानी शुक्रवार को पड़ रहा है.
अनंत चतुर्दशी पूजा का खास मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, अनंत चतुर्दशी पर पूजा का का शुभ मुहुर्त 9 सितंबर, 2022 को सुबह 6.25 मिनट से लेकर शाम 6:07 मिनत तक रहने वाला है. इसका मतलब पूजा के लिए आपको 11 घंटे और 42 मिनट मिलेंगे. इसी के साथ चतुर्दशी तिथि की बात करें तो 8 सितंबर को सुबह 9.02 मिनट पर शुरू होगी और 9 सितंबर 2022 को शाम 6:07 बजे खत्म होगी.
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गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा को 10 दिनों के बाद विदाई दी जाती है. अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान गणेश का विसर्जन करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती होती है. तो चलिए जानते हैं कि इस दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि.
सुबह गणेश विसर्जन मुहूर्त: 6.03 मिनट से लेकर 10.44 मिनट तक रहेगा.
दोपहर गणेश विसर्जन मुहूर्त: 12.18 से 1. 52 मिनट तक रहेगा.
शाम गणेश विसर्जन मुहूर्त: 5.00 बजे से शाम 6. 31 मिनट तक रहेगा.
जानें, अनंत चतुर्दशी पूजा की विधि
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अग्रि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्वों का वर्णन मिलता है. कहते हैं कि इस सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें और पूजा स्थान को शुद्ध करने के बाद कलश स्थापित करें. इसके बाद कलश पर भगवान विष्णु की तस्वीर भी लगाएं. एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं, इसमें चौदह गांठें लगी होनी चाहिए.
इसके बाद इस सूत्र को भगवान विष्णु के सामने रखें. इसके बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूजा करें और 'अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।' मंत्र का जाप करें. इसके बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें. कहा जाता है कि इस सूत्र को धारण करने से संकटों का हमेशा के लिए नाश हो जाता है.