गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम नगर निगम आए दिन भ्रष्टाचार के मामलों में चर्चाओं में रहता है. सीएम मनोहर लाल द्वारा संचालित मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के नाम पर यह खुलासा हुआ है कि गुरुग्राम नगर निगम के कर्मचारियों ने निगम की तहबाजारी दुकानों में रजिस्ट्री के नाम पर मोटी रकम ली है. गुरुग्राम नगर निगम में ही कार्यरत एक कर्मचारी ने इसकी शिकायत की है. उसके बाद शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा अब इस मामले की जांच के आदेश मुख्य सचिव ने गुरुग्राम नगर निगम के कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा को दिए हैं.


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शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने गुरुग्राम नगर निगम के कमिश्नर को जांच के आदेश के लिए एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में साफ तौर से लिखा हुआ है कि गुरुग्राम नगर निगम मे कंप्यूटर क्लर्क आउटसोर्स कर्मचारी सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व स्कीम के नाम पर नगर निगम गुरुग्राम में जमकर रिश्वत ली. प्रति दुकान लगभग 15 लाख रुपये की रिश्वत ली गई है. वहीं अब इस मामले में गुरुग्राम नगर निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा ने कहा कि हाई लेवल अथॉरिटी से एक चिठ्ठी आई है और इस चिट्ठी के आधार पर जल्द ही जांच की जाएगी. 15 से 20 दिन में ही जो भी दोषी होगा उसके ऊपर कार्रवाई होगी.



कई सालों से नगर निगम की दुकानों पर बैठे लोगों के लिए मुख्यमंत्री द्वारा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व स्कीम लाई गई थी. लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों ने रिश्वत लेकर लोगों को मालिकाना हक दिलवाया. वहीं नगर निगम गुरुग्राम मे लगभग 700 दुकानों के मालिकों को मालिकाना हक दिया जाना था, लेकिन अभी तक निगम की लगभग 180 दुकानों के मालिकों को ही मालिकाना हक दिया गया है. जिनसे मालिकाना हक के नाम पर मोटी रकम वसूली गई है. वहीं निगम कमिश्नर के मुकेश कुमार आहूजा ने यह भी कहा कि इस मामले में अगर उच्च अधिकारियों की भी संलिप्तता पाई गई तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.


वहीं मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व स्कीम प्रदेश के उन सभी लोगों के लिए लायी गयी थी. जो निगम की जमीन पर पिछले 20 साल या उससे ज्यादा समय से किसी दूकान या मकान पर काबिज हैं. इसके अलावा जो लोग 31 दिसंबर 2020 तक की किसी दूकान की लीज भर रहे हैं या किसी मकान का किराया भर रहे हैं. इन सभी लोगों को इस स्कीम के तहत उनकी लीज की दुकानों और मकानों पर मालिकाना हक मिलना है, लेकिन गुरुग्राम नगर निगम मे मालिकाना हक दिलवाने के नाम पर लोगों से मोटी रकम रिश्वत के तौर पर ली गई.


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