Farmers News: हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी करते हैं. भारत के खाद्यान्न के केंद्रीय पूल में भी हरियाणा दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है. हरियाणा सरकार द्वारा भी किसानों का ध्यान रखते हुए समय-समय पर कृषि संबंधी जानकारियों को साझा किया जाता है. फरवरी का महीना खेती के लिए बहुत जरूरी माना जाता है, ऐसे में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा (Dept. of Agriculture & Farmers Welfare Haryana) द्वारा किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. 


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कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की एडवाइजरी



कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा जारी एडवाइजरी में किसानों को फरवरी महीने में क्या करना है, उसके बारे में जानकारी दी गई है. एडवाइडजरी के अनुसार, बरसीम, रिजका एवं जई की फसलों में फरवरी के महीने में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा सही अवस्था पर चारे की कटाई करते रहें. चारे की कटाई करने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि ओस सूख गई हो, ओस के सूखने के बाद ही कटाई शुरू करें. फालतू बरसीम एवं रिजका की 'हे' तथा जई की 'साइलेज' बना लें. इसके साथ ही किसानों को खेतों को खराब होने से बचाने के लिए अपने ट्यूबवैल के पानी की जांच करवाने की भी सलाह दी गई है. 


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साइलेज क्या है?
बारिश के मौसम में हरा चारा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में किसानों द्वारा चारे को अधिक समय संरक्षित करके रख लिया जाता है, जिसे साईलेज (Silage) कहते हैं. हरे चारे को हवा की अनुपस्थिति में गड्ढे के अंदर रखा जाता है. फर्मेंटेशन के बाद चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है जो हरे चारे का पीएच कम कर देता है और हरे चारे को सुरक्षित रखता है.