विनोद लांबा/चंडीगढ़ः राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी सरकार पर राजनीतिक द्वेष के चलते स्कूलों को बंद करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि 8 साल में मौजूदा सरकार 300 से ज्यादा स्कूलों पर ताले जड़ चुकी है. करीब 4800 स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद कर दिया गया है, लेकिन पिछले दिनों बंद किए गए 105 स्कूलों की फेहरिस्त का अध्ययन करने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इससे पता चलता है कि बंद किए गए 105 में से 61 स्कूल ऐसे थे, जिन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान अपग्रेड किया गया था. स्पष्ट है कि सरकार राजनीतिक द्वेष के चलते जानबूझकर ऐसे स्कूलों को निशाना बना रही है. सरकार की इस ओछी राजनीति का खामियाजा मासूम विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है. 


ये भी पढ़ेंः बढ़ते अपराध पर हुड्डा ने साधा निशाना, बोले- NCRB की रिपोर्ट ने खोली हरियाणा सरकार की सच्चाई


सरकारी स्कूलों को बंद और टीचर्स के पदों को खत्म करके सरकार दलित, पिछड़े, गरीब, किसान, मजदूर व ग्रामीण बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है. दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूछा कि अगर सरकार की रैशनलाइजेशन पॉलिसी सही है तो फिर इसके खिलाफ गांव-गांव में बच्चे, अभिभावक और अध्यापक धरना प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? अगर यह पॉलिसी सही है तो ज्यादातर स्कूलों में स्टाफ का टोटा क्यों हो गया? 


उन्होंने कहा कि- हजारों स्कूलों में सांइस, मैथ्स, इंग्लिश, हिंदी, संस्कृत की पोस्ट क्यों कैप्ट या खत्म की गई? अगर सरकार की नीति सही है तो 14504 स्कूलों की संख्या घटाकर 9700 क्यों करनी पड़ी? उन्होंने कहा कि सरकार का काम स्कूल बनाना होता है, बंद करना नहीं. प्रदेश की हर सरकार ने अपनी कार्यशैली के अनुरूप कम या ज्यादा स्कूल बनाने का काम किया.


ये भी पढ़ेंः Sidharth Shukla first death anniversary: प्रेयर मीट में नहीं पहुंचीं शहनाज गिल, क्या बदल गई हैं वो?


उन्होंने आगे कहा कि- यह प्रदेश की इकलौती ऐसी सरकार है जिसका सारा जोर स्कूलों को बंद करने पर है। अगर इसी गति से प्रदेश में स्कूल बंद होते रहे तो आने वाले समय में हरियाणा स्कूल व शिक्षा रहित प्रदेश बन जाएगा. अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए हुड्डा सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए थे. कांग्रेस सरकार बनने से पहले 2005-06 तक प्रदेश में कुल 13,190 सरकारी स्कूल थे. कांग्रेस ने इस संख्या को 2014-15 तक बढ़ाकर 14,504 किया था.


विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान प्रदेश में 2332 स्कूलों को अपग्रेड, ओपेन किया गया. इसके मुकाबले आरटीआई के जवाब में मौजूदा सरकार ने बताया कि उसने 8 साल में सिर्फ 8 नए स्कूल स्थापित किए और सिर्फ 463 स्कूलों को अपग्रेड किया. आंकड़े बताते हैं कि नए स्कूल स्थापित करने, स्कूलों को अपग्रेड करने और शिक्षा महकमे में नौकरियां देने के मामले में मौजूदा सरकार कांग्रेस के सामने कहीं नहीं टिकती.


ये भी पढ़ेंः Lal Kitab Ke Siddh Totke: बेरोजगार युवा अपना लें ये टोटका, तो अगले ही पल हाथ में होगी नौकरी


दीपेंद्र हुड्डा ने याद दिलाया कि हुड्डा सरकार ने प्रदेश को शिक्षा का हब बनाने के लिए आरोही, संस्कृति मॉडल, किसान मॉडल समेत सैंकड़ों स्कूलों की स्थापना की. साथ ही प्रदेश में आईआईएम, आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालय, डिफेंस यूनिवर्सिटी समेत 15 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए. 


कांग्रेस सरकार के दौरान ही प्रदेश में 5 नए मेडिकल कॉलेज, 12 नए राजकीय विश्वविद्यालय, 22 निजी विश्वविद्यालय, कुल 34 नए विश्वविद्यालय, 45 राजकीय महाविद्यालय, 503 तकनीकी संस्थान, 140 नई सरकारी आईटीआई, 36 आरोही, दर्जनों किसान और संस्कृति मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई. साथ ही राजीव गांधी एजुकेशन सिटी का निर्माण भी उसी कार्यकाल के दौरान हुआ. इन तमाम संस्थानों में प्रदेश के एक लाख से ज्यादा युवाओं नौकरियां मिलीं. 


लेकिन इसके विपरीत बीजेपी, बीजेपी-जेजेपी सरकार ने पूरे कार्यकाल में जेबीटी की एक भी भर्ती नहीं निकाली. अपने विज्ञापन पर इस सरकार ने आज तक एक भी अध्यापक की भर्ती नहीं की. इस सरकार ने हजारों स्कूलों को मर्ज कर टीचर्स के 38,476 खाली पड़े पदों में से लगभग 25,000 को बिना कोई भर्ती के खत्म कर दिया.