AI Treatment in AIIMS: अगर सब कुछ सही रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब देश के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए लोगों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. देश के सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल All India Institute of Medical Sciences यानी एम्स में जल्द ही डॉक्टर मरीज का इलाज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का भी इस्तेमाल करेंगे. इस तकनीक का इस्तेमाल करते वक्त कुछ सवालों के जवाब भी तलाशे जाएंगे. जैसे क्या इससे अस्पताल में मरीजों की वेटिंग लिस्ट कम हो जाएगी. क्या इससे मरीजों के इलाज में तेजी आएगी.   


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

विशेषज्ञों के मुताबिक क्या मरीज की आंखों की रोशनी जाने वाली है. किस मरीज की हालत इमरजेंसी वाली है और किस मरीज को तुरंत एडमिट किए जाने की जरूरत है, ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब देने में AI मॉडल्स बहुत मदद कर सकते हैं. एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख और AI कमेटी के हेड डॉ राजेश खड्गावत के मुताबिक फिलहाल एम्स के अलग-अलग डिपार्टमेंट में 39 AI आधारित प्रोग्राम रिसर्च प्रोजेक्ट के तौर पर चलाए जा रहे हैं. इन अनुभवों को स्टडी करके मरीजों के इलाज में सिलसिलेवार तरीके से AI का प्रयोग किया जाएगा.  


ये भी पढ़ें: UP Crime: मदरसे में पढ़ने गई नाबालिग के साथ रेप, मौलाना ने 5 घंटे तक की हैवानियत, विरोध करने पर पीटा


ड्रोन और रोबोट से इलाज की तलाशी जाएगी संभावना 
इस काम के लिए 7 डॉक्टरों की एक कमेटी बनाई गई है जो ये भी देखेगी कि इलाज के लिए ड्रोन और रोबोट का इस्तेमाल कैसे किया जाए. मरीजों के स्तर पर उनकी सेहत का लेखा-जोखा फिल्टर करने का काम AI तकनीक से आसानी से हो सकेगा. जिससे वो मरीज की हालत और टेस्ट रिपोर्ट को स्टडी कर उसका एक डायग्नोसिस तैयार कर सके यानी मरीज की कंडीशन असल में कैसी है, ये बता सके.  


इसे इस तरह समझ सकते हैं
मिसाल के तौर पर अगर एम्स में एक दिन में 1000 ब्लड रिपोर्ट्स आई हैं तो उनमें से किस मरीज की हालत गंभीर है, ये बताने का काम AI करेगा.