Benefits of Blood Donation: वर्ल्ड ब्लड डोनर डे 14 जून को मनाया जाता है. एक यूनिट ब्लड में 200 एमएल आरबीसी, 100 एमएल एडिटिव सॉल्यूशन और 30 एमएल प्लाज्मा होता है.  एक यूनिट ब्लड से एक यूनिट पैक्ड रेड ब्लड, एक यूनिट प्लाज्मा और एक यूनिट प्लेटलेट्स बनाया जाता है. इसीलिए रक्तदान को महादान का नाम दिया गया है, क्योंकि एक यूनिट ब्लड डोनेट करने से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है. कुछ लोग रक्तदान करने से बचते हैं या इस बारे में तमाम तरह की भ्रांति पाले रहते हैं, लेकिन रक्तदान से मानसिक और शारीरिक रूप से काफी फायदा मिलता है. 


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रक्त जांच से चल जाता है बीमारी का पता  


ब्लड डोनेट करने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि रक्तदान करने वाले शख्स को यह पता चल जाता है कि वह किसी बीमारी का शिकार तो नहीं. दरअसल रक्तदान करने के बाद योग्य मेडिकल स्टाफ उस खून की जांच करता है. हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी, एचआईवी समेत अन्य संक्रमणों की जांच की जाती है और बीमारी का समय रहते पता चल जाता है. 


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नियमित रक्तदान से हार्ट अटैक का खतरा कम 


ब्लड डोनेट करने से तनाव और नकारात्मक विचार दूर रहते हैं. रक्तदान कर आपने अच्छा काम किया, इस विचार से आप खुशी महसूस करते हैं. इससे आपका भावनात्मक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है. नियमित रूप से ब्लड डोनेट करने से बॉडी में स्टोर किए गए आयरन की मात्रा में कमी आती है, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम कम होता है.


ब्लड डोनेशन से बॉडी में नई कोशिकाएं बनने में मदद मिलती है. रक्तदान करने के 48 घंटे के भीतर बॉडी बोनमैरो के साथ मिलकर नया ब्लड बना लेती है. 30 से 60 दिनों के भीतर डोनेट किया सारा खून रिप्लेस हो जाता है. रक्तदान करने वालों के कोलेस्ट्रॉल व ट्राईग्लिसराइड के लेवल में कमी आती है, जो बीमारियों की वजह बनती है. 


कौन कर सकता है रक्तदान 
1.
ब्लड डोनर का वजन करीब 50 किलोग्राम होना चाहिए. 
2. रक्तदान करने वाला शख्स तंदुरुस्त होना चाहिए. डोनर की उम्र कम से कम 18 साल और अधिकतम 65 साल होनी चाहिए. 
3. ऐसा व्यक्ति, जिसने 3 महीने के भीतर रक्तदान न किया हो. ब्लड डोनर का ब्लड प्रेशर, तापमान और पाल्स रेट सामान्य होनी चाहिए. साथ ही हीमोग्लोबिन लेवल 12.5 होना चाहिए.