Bone Marrow Transplantation: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरु की गई है. कई तरह की बीमारी जैसे ब्लड कैंसर, ब्लड डिसऑर्डर और अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है. दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) में ये सुविधा कई वर्षों से है, लेकिन वहां बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन का खर्च 5 लाख रुपए के आसपास आ जाता है. इसके अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी इसका इलाज किया जाता है, लेकिन वहां इस थेरेपी का खर्च 12 से 25 लाख रुपए तक आता है. ऐसे में किसी भी आम व्यक्ति के लिए ये काफी महंगा पड़ जाता है. इन परेशानियों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने कैंसर मरीजों के लिए मुफ्त में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन करने की सुविधा दी है, जिससे कोई भी आम इंसान मुफ्त में इसका लाभ ले सकता है.  


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फ्री में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन
अस्पताल के निदेशक डॉ बी एल शेरवाल के मुताबिक सफदरजंग अस्पताल में इस सुविधा को पूरी तरह फ्री शुरु किया जा रहा है. हालांकि कुछ दवाओं और जांच के लिए कुछ राशि खर्च हो सकती है. इस महीने के अंत तक इस डिपार्टमेंट में पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाएगा. दिल्ली के रहने वाले एक मरीज को प्रोसीजर के लिए तैयार किया जा रहा है.  


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बोन मैरो बैंक की शुरुआत 
इस मामले में कैंसर डिपार्टमेंट के हेड डॉ कौशल कालरा के मुताबिक बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन स्वयं के या किसी डोनर के ब्लड से किया जाता है. ब्लड से बोन मैरो सेल्स को अलग करके उसे फिर से प्रत्यारोपित किया जाता है. आमतौर पर केवल भाई बहन से ही बोन मैरो मैच हो पाता है, लेकिन आजकल बोन मैरो बैंक भी बनाए गए हैं जिनकी रजिस्ट्री की जाती है. ये एक देशव्यापी रजिस्ट्री है. इससे भी बोन मैरो लिए जा सकते हैं.   


तीन महीने की होती है निगरानी
मरीज को प्रोसीजर के बाद आपरेशन थिएटर से निकलते के बाद अलग रखा जाता है. उसे लगभग तीन हफ्ते तक डोनर के साथ अस्पताल में आइसोलेशन में ही रहना होता है. इस दौरान उसके स्टेम सेल बढ़ते हैं. किसी भी इंफेक्शन से ये प्रोसीजर बेकार हो सकता है. इसके लिए सफदरजंग अस्पताल में एक अलग जगह ढूंढी गई है, जहां ओटी से लेकर रुम तक सब कुछ अलग होगा.