Dementia Disease: 40 वर्ष से ऊपर के ऐसे लोग जिनकी याददाश्त कमजोर हो रही है उनके लिए एम्स ने योग वाला प्रयोग शुरू किया है. दरअसल रिसर्च में ऐसा देखा गया है कि भूलने की आदत जब बीमारी में बदलने लगती है तो दवाएं एक लिमिट से ज्यादा मदद नहीं कर पाती, लेकिन योगासन और प्राणायाम की मदद से मेमोरी की ताकत बढ़ाई जा सकती है. इसीलिए एम्स ने ऐसे लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भूलने की आदत जब बीमारी बन जाती है तो उसे डिमेंशिया कहा जाता है. ऐसे लोग जिनमें इस बीमारी के शुरुआती लक्षण आए हैं वो एम्स से संपर्क करके इस रिसर्च में शामिल हो सकते हैं. एम्स का दावा तो यहां तक है कि ये योगासन बढ़ती उम्र को भी रोक सकते हैं. अब याददाश्त दुरुस्त करने का जिम्मा एम्स ने लिया है. 40 साल से 60 साल की उम्र के ऐसे लोग जिन्हें अभी डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी है या शुरुआत हुई है वो एम्स की योग वाली रिसर्च का हिस्सा बन सकते हैं.


सबसे पहले हम आपको ये बताते हैं कि आपको ये कैसे पता करना है कि आपका चीजें भूलना सिर्फ एक छोटी मोटी आदत है या आप सच में बीमारी की ओर बढ़ रहे हैं. 
- अगर आप कोई जरूरी अप्वाइंटमेंट, जैसे किसी सामाजिक काम पर या ऑफिस की मीटिंग भूल जाएं.  
- अगर आप किताब पढ़ रहे हैं या फिल्म देख रहे हैं और आप उसकी कहानी याद न रख पाएं.
- आप जाने पहचाने रास्ते भूलने लगें. 


आपके परिवार या दोस्त आपको बातें याद दिलाने लगें. यानि आपमें हुए बदलाव दूसरे के जरिए नोटिस किए जाने लगें तो आप डिमेंशिया के शिकार हो रहे हैं. 


ये भी पढ़ें: Rare Disease: SMA से पीड़ित डेढ़ साल के बच्चे से मिलने पहुंचे केजरीवाल, क्राउडफंडिंग करने वालों को बोला Thank You


 एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ मंजरी त्रिपाठी का कहना है कि ऐसे मरीजों को सूक्ष्म व्यायाम, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, नाड़ी शोधन और  भ्रामरी प्राणायाम करवाए जाएंगे.  इसके अलावा उनकी शारीरिक सेहत के हिसाब से दूसरे कई आसन करवाए जाएंगे. जो खून का प्रवाह दिमाग की ओर ले जाएं.  साथ ही कहा कि एम्स ने अपनी रिसर्च में पाया है कि योग आसन से दिमाग में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है. साथ ही ब्रेन के कई हिस्सों में आई सिकुड़न भी ठीक हो जाती है. 


वहीं एनॉटमी विभाग के प्रोफेसर रीमा दादा ने कहा कि केवल कुछ मिनट का भ्रामरी प्राणायाम कितने फायदे दे सकता है, इस पर आईआईटी दिल्ली और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद ने मिलकर पिछले साल एक रिसर्च की थी. 70 लोगों पर तकरीबन 1 साल चली इस रिसर्च में यह सामने आया कि भ्रामरी प्राणायाम बढ़ती हुई उम्र के बुरे असर को काफी हद तक घटा सकता है. केवल एक प्राणायाम याददाश्त बढ़ाने के काम आता है, तनाव को कम करता है और ब्लड प्रेशर को काबू करता है.  


आखिर ये कैसे होता है ये हम आपको समझाते हैं. एम्स की रिसर्च के मुताबिक तनाव, स्मोकिंग, शराब, कम नींद, प्रदूषण या खराब खाना पीना इन सब वजहों से दिमाग में कोर्टिसोल हॉरमोन निकलता है. जिसकी वजह से दिमाग का याददाश्त के लिए जिम्मेदार हिस्सा हिपोकैंपस सिकुड़ने लगता है और दिमाग की नर्वस उम्र के साथ-साथ ऐसी आदतों को झेलते-झेलते सिकुड़ने लगती हैं.  


प्राणायाम दिमाग में क्सीजन भेजने की स्पीड बढ़ाता है, जबकि कुछ योग क्रियाएं जैसे सूर्य नमस्कार, विपरीत कर्णी ब्रेन में ब्लड फ्लो यानी खून का प्रवाह बढ़ा सकती हैं. आईआईटी दिल्ली की रिसर्च में कई मरीजों में ईसीजी के नतीजे बेहतर होते देखे गए है. यानि यह पाया गया कि दिल के मरीजों को भी भ्रामरी प्राणायाम करने से बीमारी से रिकवर होने में तेजी से मदद मिल रही है.  


इन मरीजों को योग के साथ साथ एम्स में इलाज भी मिल सकेगा. एम्स ने ऐसे मरीजों के लिए नंबर जारी किए हैं जो रिसर्च में शामिल होना चाहते हैं -


Aiims- 9741788053, 011- 29994940,011 -64533663 


Alzheimers society of India- 9315418060, 7292052288, 29994940, 64533663