Sugar Free Side Effect: अगर आप मोटापा कम करने या फिट रहने के लिए शुगर फ्री इस्तेमाल कर रहे हैं तो आज ही रुक जाएं, क्योंकि शुगर फ्री वाला मीठा आपको असल में डायबिटीज दे सकता है. आज आर्टिफिशियल स्वीटनर्स को स्वास्थ्यवर्धक बताकर बेचा जा रहा है. बाजार में टूथपेस्ट से लेकर माउथवॉश और पैकेज्ड फूड में ये मिलाया जा रहा है, ताकि लोग इसे सेहतमंद समझें. वे इस भ्रम में फंस जाते हैं कि अब वे चीनी की जगह नॉन शुगर स्वीटनर खा रहे हैं तो वे चीनी से होने वाले नुकसान से भी बच गए, लेकिन हकीकत कुछ और ही होती है. 


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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सावधान किया है कि शुगर फ्री वाले मीठे प्रोडक्ट लेने से आपको दिल की बीमारी हो सकती है. आप और ज्यादा मोटे हो सकते हैं. World Health Organisation ने Non Sugar Sweeteners पर नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसके मुताबिक लंबे समय तक आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल से जान को खतरा हो सकता है.


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रिसर्च के मुताबिक वजन घटाने और लाइफ स्टाइल वाली बीमारियों को काबू करने में Non Sugar Sweeteners या आर्टिफिशियल स्वीटनर्स न केवल बेकार साबित हो रहे हैं, बल्कि हेल्थ को नुकसान पहुंचा रहे हैं. नॉन शुगर स्वीटनर या आर्टिफिशियल स्वीटनर में कोई पोषक तत्व नहीं होता.लंबे समय तक इन चीजों के इस्तेमाल से कोई फायदा नहीं दिखा और मोटापा तो बिल्कुल कम नहीं हुआ. 


शोध के चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने 
रिसर्च में पाया गया कि तीन महीने तक ऐसा मीठा इस्तेमाल करने से थोड़ा वजन घटा और कैलोरी कम हुई लेकिन शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम नहीं हुई, दिल की बीमारी में मदद नहीं मिली और ब्लड शुगर भी कम नहीं हुई. जिन लोगों ने 6-18 महीने तक ऐसा मीठा खाया, उनका वजन भी नहीं घटा. स्टडी के लिए एक ग्रुप को आर्टिफिशियल स्वीटनर दिए गए, जबकि दूसरे को पानी दिया गया. रिसर्च के दौरान दोनों ग्रुप में कोई फर्क नहीं मिला. इतना ही नहीं   
जिन लोगों को दस वर्ष तक Non Sugar Sweeteners या आर्टिफिशियल स्वीटनर्स दिए गए, वो मोटे हो गए.13 साल के फॉलोअप में कई लोगों में डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ गया. यहां तक कि ऐसे लोग जो सेक्रीन मिला मीठा खा रहे थे, उनमें तो ब्लैडर कैंसर का खतरा बढ़ गया. 


गर्भवती महिलाओं के लिए ठीक नहीं 
रिसर्च के मुताबिक बच्चों को नॉन शुगर स्वीटनर (Non Sugar Sweeteners) देने से कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं गर्भवती महिलाओं में  Non Sugar Sweeteners के इस्तेमाल से प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के मामले ज्यादा पाए गए. शिशुओं में अस्थमा और एलर्जी की समस्याएं देखी गईं. हालांकि गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज और आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल के बीच कोई लिंक नहीं मिला.  


विश्व स्वास्थ्य संगठन​ ने दी ये सलाह 
लोगों को प्रकृति से मिलने वाले मीठे से काम चलाना चाहिए जैसे फल, गन्ना आदि का सेवन करना चाहिए. WHO के मुताबिक बचपन से ही खाने में मीठा कम करने की आदत डालनी चाहिए. हालांकि जो लोग डायबिटीज के मरीज हैं, ये सलाह उनके लिए नहीं है.


मरीजों को नहीं दी जाती पूरी जानकारी 
Diabetes के मरीजों को उनके आर्टिफिशियल स्वीटनर की रोजाना खुराक के बारे में जानकारी दी जाती है, लेकिन नो कैलोरी या ज़ीरो कैलोरी वाले बाजार में मौजूद प्रोडक्ट के पैक में यह नहीं बताया जाता कि उनका रोजाना कितना सेवन करना चाहिए और ज्यादा सेवन से क्या नुकसान हो सकता है.


कौन सा आर्टिफिशियल स्वीटनर अच्छा?
क्या सभी आर्टिफिशियल स्वीटनर बेकार हैं तो WHO के मुताबिक acesulfame K, aspartame, advantame, cyclamates, neotame, saccharin, sucralose, stevia and stevia derivatives इनमें से किसी से भी बना मीठा किसी काम का नहीं है. लोग इनसे बने प्रोडक्ट को जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं और लंबे समय तक ऐसा करने से उन्हें नुकसान हो जाता है. 


5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे मोटापे की चपेट में 
WHO के मुताबिक 2020 में दुनिया में 5 वर्ष से कम उम्र के मोटे बच्चों की तादाद लगभग 4 करोड़ थी. ऐसे में बहुत बड़ी आबादी डायबिटीज के खतरे में है या मोटापा कम करने के चक्कर में है. मोटापे की वजह से 2017 में 40 लाख लोग मारे गए थे. 2020 में दुनिया में कुल साढे 5 करोड़ मौतों में से 4 करोड़ से ज्यादा केवल लाइफस्टाइल वाली बीमारियों से हुई थीं. मोटापे का ऐसी बीमारियों से सीधा लिंक है.