Yog Benefits for epilepsy patient: योग के फायदे किसी से छिपे नहीं है. योग अस्थमा, मधुमेह समेत कई बीमारियों को कंट्रोल करने में सहायक होता है, लेकिन सबसे मुश्किल बीमारियों में शामिल Epilepsy यानी मिर्गी के मरीजों को भी दवाओं के साथ-साथ योग से न केवल बीमारी को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है. इतना ही नहीं मिर्गी के  दौरे पड़ने की संभावना भी काफी हद तक घट सकती है. ये नतीजे AIIMS की एक रिसर्च में सामने आए हैं. 


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देशभर में मिर्गी के मरीजों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है. इन मरीजों को पढ़ाई, नौकरी से लेकर सामाजिक जीवन में बहिष्कार का सामना करना पड़ता है. इस बीमारी में दिमाग के न्यूरॉन्स में ज्यादा करंट से मरीज को दौरे पड़ने लगते है. ऐसी स्थिति में उसका शरीर से कंट्रोल खत्म हो जाता है और बीमार शख्स  कई बार बेहोश हो जाता है. इस बीमारी का इलाज तो नहीं है लेकिन लगातार दवाओं और योग से मरीज अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकता है.


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एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग में पीेएचडी कर रही डॉ किरनदीप कौर ने सेंटर फॉर इंटिग्रेटिव मेडिसिन विभाग के साथ मिलकर मिर्गी के शिकार 160 मरीजों पर स्टडी की. इस स्टडी को अमेरिका के जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित किया गया है. एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की हेड डॉ मंजरी त्रिपाठी के मुताबिक दुनिया में ये पहली स्टडी है, जिसमें कई मरीजों को योग और दूसरे मरीजों को योग जैसी लगने वाली ही सामान्य एक्सरसाइज करवाकर फर्क दिखाया गया है. 


80-80 मरीजों के दो ग्रुप पर किया गया अध्ययन 
दरअसल एम्स ने जिन 160 मरीजों को स्टडी में शामिल किया, उनमें से 80 मरीजों को योगासन करवाए गए हुए शेष 80 मरीजों को Sham Yoga यानी योग जैसी लगने वाली कसरत करवाई गई. इन मरीजों को योग के अहम भाग जैसे सांस की गति और सांस लेने और छोड़ने के बारे में जानकारी नहीं दी गई. 6 महीने तक चली इस स्टडी के नतीजों ने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया. 


योग में 50 प्रतिशत हिस्सा मेडिटेशन 
जो लोग सही तरीके से ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी सांस लेने, छोड़ने और रोकने जैसे कारकों के साथ योग क्रियाएं कर रहे थे, उन्हें बाकी मरीजों के मुकाबले 7 गुना ज्यादा फायदा हुआ. स्टडी के दौरान सभी मरीजों को हफ्ते में 5 दिन 45 से 60 मिनट तक योगासन करवाए गए. योग गुरु की निगरानी में कुल 7 सेशन कराए गए. बाकी दिन मरीजों को योगासन करने के लिए बुलाया गया. योग क्रियाओं में इन मरीजों को सूक्ष्म व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान यानी मेडिटेशन करवाया गया. इसमें कुल योग का 50 प्रतिशत हिस्सा मेडिटेशन था.  


तनाव और बेचैनी में आती है कमी 
3 महीने के बाद मिर्गी के मरीजों में तनाव और एंग्टीजाइटी यानी बेचैनी काफी कम हो गई, जिसका नतीजा ये हुआ कि उनके मिर्गी के दौरों में भी कमी आई. कई मरीजों के दौरे 7 गुना तक घट गए. इस दौरान सभी मरीजों की मिर्गी के दौेरे रोकने की दवाएं लगातार चलती रहीं. इन सभी को आगे भी योग करते रहने की सलाह दी गई है. अब एम्स अपने अध्ययनों से यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कि क्या मिर्गी के मरीज को पूरी तरह दौरों से मुक्त किया जा सकता है.