Himachal Election 2022: हिमाचल में BJP की राह नहीं आसान, अपने ही अड़े मैदान में, अब शाह की एन्ट्री
Himachal Pradesh Assembly Election 2022: अमित शाह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप को डैमेज कंट्रोल की रिपोर्ट के साथ दिल्ली बुलाया है. पार्टी के कई नाराज नेताओं ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र भरा है. आज नाम वापसी का आखिरी दिन है, अगर यह नेता अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लेते हैं, तो यह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में इस बार BJP की सत्ता में वापसी की राह आसान नहीं होने वाली है. दरअसल कांग्रेस के साथ ही इस बार के चुनाव में AAP ने भी सभी 68 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं, तो वहीं प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा भी अहम होगा. कांग्रेस लंबे समय से BJP पर आरोप लगा रही है, तो वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को 2 दिग्गज नेताओं को अचानक दिल्ली बुलाया है.
गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप को डैमेज कंट्रोल की रिपोर्ट के साथ दिल्ली बुलाया है. चुनाव प्रचार के बीच दोनों नेताओं को अचानक से दिल्ली बुलाना कई बातों में अहम है. डैमेज कंट्रोल रिपोर्ट देखने के बाद मुमकिन है कि अमित शाह दोनों नेताओं के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भी जारी करें.
29 अक्टूबर, शनिवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन है. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा से नाराज और बागी नेताओं ने बीजेपी का चुनाव समीकरण बिगाड़ दिया है. पार्टी के कई नाराज नेताओं ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र भरा है. अगर यह नेता अपना नामांकन पत्र वापस नहीं लेते हैं, तो यह भाजपा की सत्ता वापसी में बड़ी चुनौती बनेंगे. पार्टी के सभी दिग्गज रूठों को मनाने में लगे हुए हैं, भाजपा इसमें कितनी कामयाब हुई है यही जाने के लिए अमित शाह ने मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष को दिल्ली बुलाया है.
आपको बता दे भाजपा में अचानक से टिकटों के आवंटन के बाद विरोधाभास होने लगा और प्रदेश के सभी मुद्दों ने भी आग पकड़ ली. सबसे बड़ा मुद्दा युवाओं की नौकरी से जुड़ा हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगारी में हिमाचल प्रदेश देश में 9वीं रैंक पर है. अगर छोटे राज्यों की बात करें, तो हिमाचल बेरोजगारी में देश में तीसरे स्थान पर है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा 26 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में बेरोजगारी दर 9.2% है. राष्ट्रीय स्तर पर यह 7.9% है, यानी हिमाचल में राष्ट्रीय औसत की तुलना में भी 1.3% ज्यादा बेरोजगारी है. प्रदेश की भाजपा सरकार युवाओं को नौकरी नहीं दे पाई है, जिन पदों पर भर्तियां विज्ञापित की गईं, वह कई सालों से कोर्ट में फंसी हुई हैं. सरकारी विभागों में दर्जनों पद हर साल खत्म किए जा रहे हैं. प्रदेश में पर्यटन, बागवानी और पावर सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाओं के बावजूद 9 फीसदी से ज्यादा की बेरोजगारी दर सरकार की नाकामयाबी का संकेत देती है.
प्रदेश का पढ़ा-लिखा बेरोजगार सालों से नौकरी मांग रहा है, लेकिन राज्य में सभी भर्तियां लंबे समय से कोर्ट में हैं. सरकार ज्यादातर मामलों में अपना पक्ष कोर्ट में सही ढंग से नहीं रख पाई है, ऐसे में चुनाव से पहले सरकार के लिए रोजगार के मुद्दे पर जवाब देना बड़ी चुनौती होगी.
BJP के खिलाफ चार्जशीट सौंपने की तैयारी में कांग्रेस
चुनाव के पहले कांग्रेस भी BJP के खिलाफ आक्रामक नजर आ रही है. शनिवार को कांग्रेस, BJP के खिलाफ कई संगीन आरापों की चार्जशीट गवर्नर को सौंपेंगी. इसमें CM जयराम ठाकुर सहित कई मंत्रियों, विधायकों और बोर्डों व निगम के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों के खिलाफ संगीन आरोप लगाए गए हैं. प्रदेश सरकार के मंत्री महेंद्र सिंह, राकेश पठानिया, बिक्रम सिंह, सरवीण चौधरी, सुखराम चौधरी और गोविंद ठाकुर चार्जशीट में मुख्य निशाने पर रखे गए हैं. आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस इस चार्जशीट को मुख्य मुद्दा बना सकती है.