Chandigarh News: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि बिना कुछ करे-धरे प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अपनी पीठ खुद थपथपाने में लगी रहती है, जबकि धरातल पर उसका कोई काम नजर नहीं आ रहा है.  साफ-सफाई के नाम पर अरबों रुपये सालाना पानी की तरह बहा दिया जाता है, लेकिन फिर भी सर्वे में हरियाणा औंधे मुंह गिरा हुआ है. पहले पांचवें स्थान पर रहा हरियाणा आज 14 वें स्थान पर लुढ़का हुआ है, पर सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है. सरकार ने कभी सफाई कर्मियों की भर्ती पर ध्यान नहीं दिया जो काम कर रहे हैं, उनमें से आधे अधिकारियों और सत्ता पक्ष के लोगों के घरों में लगे हुए है. सरकार प्रदेश और कुछ जिलों को छोड़कर अन्य में कचरा निस्तारण का प्रबंध तक नहीं कर पाई. जहां देखों कूड़े के पहाड़ दिखाई देते हैं. इतना ही नहीं आज तक घरों से सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग नहीं लिया गया.


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स्टेट रैंकिंग में हरियाणा का स्थान
कुमारी सैलजा ने आगे कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 की रैंकिंग में हरियाणा को जोर का झटका लगा है. एक लाख की आबादी वाले शहरों में हरियाणा के शहर टॉप 100 की सूची में से साफ हो गए हैं. तो वहीं स्टेट रैंकिंग में हरियाणा पांचवें स्थान से लुढ़ककर 14 वें स्थान पर आ गया है.  इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार कैसा काम कर रही है. सफाई में जब उसकी रैंक गिर रही है तो बड़े कामों में क्या स्थिति होगी अंदाजा लगाया जा सकता है. रैंकिंग में गिरावट इस बात की ओर साफ इशारा कर रही है कि हरियाणा में साफ सफाई की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित नहीं कि जा रही है. प्रदेश की नगर पालिका, परिषद, नगर निगम आज महज घोटालों के केंद्र बनकर रह गए हं.  कई नगर निगम में 80 लाख रुपये से लेकर 300 करोड़ तक के घोटाले हुए है. सरकार मानती नहीं है, जांच के नाम पर लीपापोती होती है अगर जांच सही पाई तो सरकार की बदनामी होगी ऐसे में सरकार जांच के नाम पर खानापूर्ति करती है.


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पैसों को कर रही पानी की तरह खर्च 
प्रदेश सरकार कचरा निस्तारण का उचित प्रबंध तक नहीं कर पाई. शहरों में कूड़े के पहाड़ दिखाई देते हैं. वहीं हरियाणा को सबसे कम अंक कचरा मुक्त शहर की श्रेणी में मिला है. सरकार कचरा प्रबंधन के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही है. पर उसने अधिकारियों से कभी नहीं पूछा पैसा कहां लगाया गया है. अधिकारी कागजों का पेट भरकर सरकार के समक्ष रख देते हैं, सरकार आंकड़े देखकर ही अधिकारियों की पीठ थपथपा देती है. प्रदेश के सभी शहरों की रैंकिंग काफी नीचे तक गिरी है. प्रदेश के छोटे शहर तो टॉप एक हजार की सूची से बाहर हो गए हैं, जबकी प्रदेश में गोहाना ऊपर है. सबसे अहम बात ये है कि जिन शहरों में मंत्रियों के आवास हैं उन शहरों की भी रैंकिंग गिरी है. जो मंत्री अपने शहर की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे है वो कैसे पूरे प्रदेश का ख्याल रख पाएगा. उन्होंने कहा कि जुमलेबाज सरकार को हकीकत से रूबरू होना चाहिए पर सच्चाई ये है कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रही है. प्रदेश की जनता को सपनों को साकार करने वाली सरकार चाहिए. 


Input- VIJAY RANA