Election Commission Advisory: लोकसभा चुनाव से पहले एक ओर जहां सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयैरियों में जुट गई हैं.वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी सभी राजनीतिक दलों के लिए एडवाइजरी जारी की है. इसके अनुसार, चुनाव में पर्चे, पोस्टर सहित किसी भी सामग्री के लिए राजनीतिक पार्टियां बच्चों का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं. 


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चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी
चुनाव आयोग ने अपनी एडवाइजरी में बॉम्बे उच्च न्यायालय का जिक्र किया है. दरअसल, साल 2012 में याचिका संख्या 127 (चेतन रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य) में 4 अगस्त, 2014 के अपने आदेश में कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि राजनीतिक दल किसी भी चुनाव संबंधी गतिविधियों में नाबालिग बच्चों की भागीदारी की अनुमति न दें. दरअसल, आयोग ने हमेशा चुनाव संबंधी कार्यों में किसी भी तरह से बच्चों के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है और समय-समय पर इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं. भारत निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिया था कि राजनीतिक दलों और चुनाव अधिकारियों द्वारा किसी भी बच्चे को चुनाव प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 और बाल श्रम (निषेध और विनियमन), संशोधन अधिनियम, 2016 को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने ये फैसला किया है. 


इन चीजों पर रहेगा प्रतिबंध
पार्टियों को भेजी गई एडवाइजरी के अनुसार, चुनाव में बच्चों के पोस्टर और पर्चे बांटने, बच्चों को गोद में लेने, गाड़ी में बिठाने और रैली में शामिल करने पर रोक रहेगी.  इसके अलावा चुनाव आयोग ने कविता, गाने, बोले गए शब्दों, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल के अलावा बच्चों को किसी भी चुनावी अभियान में शामिल करने पर रोक लगाई है. अगर किसी बच्चे के माता-पिता या रिश्तेदार  किसी राजनेता के करीबी  हैं तो वो अपने बच्चे को साथ ले जा सकते हैं. ये एडवाइजरी का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. बशर्ते वो चुनाव प्रचार में शामिल न हों. एडवाइजरी में ये भी कहा कि अगर किसी बच्चे का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए किया जाता है तो इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी जिम्मेदार होंगे.