Naveen Jindal Story: राजनीति में जो आज जख्म देता है, वो कल उस पर मरहम भी रखता है. जो कल तक 'गलत' था, वो आज अचानक सही हो जाता है. दलबदल की इस राजनीति में कब क्या हो जाए, किसी को नहीं मालूम. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कई बार सार्वजनिक मंचों से यह आरोप लगा कह चुके हैं कि केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई समेत केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध और अन्य पार्टियों में तोड़फोड़ के लिए करती है. अब ये कितना सही है, ये तो केंद्र में बैठी बीजेपी ही जानें.


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बीते रविवार को जिस तरह देश के जाने माने उद्योगपति नवीन जिंदल ने कांग्रेस का हाथ झटककर बीजेपी का कमल थामा, उससे आम वोटर्स के मन में ये सवाल उठ सकता है कि क्या आजादी के 75 साल बाद भी वो अपने अमूल्य वोट का इस्तेमाल वाकई सही प्रतिनिधि चुनने के लिए कर पा रहे हैं या नहीं?


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दरअसल मूल रूप से हिसार के रहने वाले नवीन जिंदल कांग्रेस की टिकट पर दो बार कुरुक्षेत्र से लोकसभा प्रत्याशी बनाए गए थे. उन्होंने 2004 और 2009 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. इससे पहले 1998 में भाजपा शासित एनडीए सरकार ने नवीन जिंदल की जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल) को कोयला ब्लॉक का आवंटन किया था. इस समय पीएम अटल बिहारी वाजपेयी थे. इस आवंटन को यूपीए सरकार ने भी जारी रखा. कुछ ही वर्षों में जिंदल ग्रुप कोयला ब्लॉक आवंटन का सबसे बड़ा लाभार्थी बन गया. 


सस्ता कोयला लेकर महंगी बिजली बेचने का आरोप 
1998 में, भाजपा शासित एनडीए सरकार ने जिंदल पावर लिमिटेड (जेपीएल) को कोयला ब्लॉक आवंटित किए थे और उसके बाद यूपीए सरकार के तहत आवंटन किया गया था. 2009 तक नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (JSPL) कोयला ब्लॉक आवंटन की सबसे बड़ी लाभार्थी बनकर उभरी. 2012 में नवीन जिंदल का नाम कोयला घोटाले में सामने आया. उन पर आरोप लगा कि सबसे सस्ता कोयला मिलने के बावजूद जिंदल ने ऊंचे दामों पर बिजली बेची.


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प्रकाश जावड़ेकर और हंसराज अहीर ने की थी शिकायत  
31 मई 2012 को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने भारतीय जनता पार्टी के दो सांसदों प्रकाश जावड़ेकर और हंसराज अहीर की शिकायत पर मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया. इसके अलावा आयकर विभाग ने भी जांच शुरू कर दी. विपक्ष ने इस मुद्दे को जमकर तूल दिया और यूपीए सरकार पर नवीन जिंदल को कोयला ब्लॉक देने में सभी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा. इसके बाद 15 सितंबर 2012 को कोयला मंत्रालय में तत्कालीन अतिरिक्त सचिव जोहरा चटर्जी  की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने जिंदल की कंपनी को आवंटित ब्लॉक को रद्द करने की सिफारिश कर दी. जून 2013 में सीबीआई ने नवीन जिंदल और उनके ग्रुप के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दी. इसका असर 2014 के लोकसभा चुनाव में साफ दिखा और नवीन जिंदल को बीजेपी प्रत्याशी राज कुमार सैनी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. 


कोल ब्लॉक आवंटन रद्द होने के बाद कर्ज में डूबे 
सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने देश में 1993 से आवंटित 218 में से 214 ब्लॉक आवंटन को रद्द करने का फैसला सुनाया. इस फैसले का व्यापक असर जिंदल समूह पर पड़ा. उनकी कंपनी पर इतना कर्ज बढ़ गया कि कभी 700 रुपये के शेयर मूल्य वाली कंपनी का शेयर मूल्य गिरकर 62 रुपये तक जा पहुंचा था. हालांकि अब कंपनी उस मुश्किल दौर से निकल आई है. 22 मार्च 2024 को जेएसपीएल के शेयर की कीमत 832.90 रुपये थी. हालांकि नवीन जिंदल को अर्श से फर्श पर लाने वाली बीजेपी ने 24 मार्च 2024 को पार्टी का पटका पहनाकर पूर्व कांग्रेसी सांसद को ये आभास करा ही दिया कि अब एक बार फिर उनके अच्छे दिन आने वाले हैं. 


बीजेपी ने नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी सुशील कुमार गुप्ता के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. इस तरह बीजेपी कुरुक्षेत्र में आम आदमी पार्टी के नेता सुशील गुप्ता को हराने के लिए इंडी गठबंधन में शामिल कांग्रेस में आस्था रखने वाले वोट बैंक का इस्तेमाल करने वाली है.