पीयूष गौड़/गाजियाबाद: फाल्गुन के महीने में शिवपूजन का अलग ही महत्व है. वहीं महाशिवरात्रि का पर्व गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है. शिव विवाह महाशिवरात्रि के दिन यहां रातभर पूजन अभिषेक जागरण चलता रहता है.


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दूधेश्वर नाथ मंदिर की अगर बात की जाए तो आसपास के इलाके में बेहद श्रद्धा का केंद्र माना जाता है. लाखों लोग फाल्गुन और सावन महीने में यहां जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. 


दूधेश्वर नाथ मंदिर के संबंध में मान्यता है कि रावण के पिता विश्वश्रवा यहां आकर पूजा किया करते थे. दूधेश्वर नाथ मंदिर में आज भी वह गुफा मौजूद है, जहां रावण और उसके पिता आकर पूजा किया करते थे. मान्यताओं के अनुसार रावण का पैतृक गांव बिसरख गांव यहां से कुछ ही दूरी पर है. मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आने के लिए गुफा का रास्ता बना हुआ था, जिसमें होकर वह अपने पैत्रक ग्राम बिसरख से विश्वनाथ मंदिर पूजा अर्चना करने के लिए आया करते थे. अभी इस गुफा को बंद कर दिया गया है. इस गुफा का रास्ता बिसरख गांव तक जाता था. अब इस गुफा को जीर्णोद्धार करा कर एक कमरे का रूप दे दिया गया है, जहां मंदिर के महंत और मुख्य पुजारी साधना किया करते हैं.


भगवान दूधेश्वर दूध से प्रसन्न होने वाले हैं. यदि 40 दिन तक भगवान का दूधिया फलों के रस आदि से अभिषेक किया जाता है तो मनवांछित मनोकामना पूर्ण होती है. मान्यता यह भी है कि जब पुरातन काल में यहां टीलानुमा था, तब स्वयंभू शिवलिंग यहां उस टीले में दबा हुआ था, तब यहां गाय चरने आती थी तो उनके थनों से दूध अपने आप निकलने लगता था. गाय स्वयं शिव का अभिषेक अपने दूध से किया करती थी, जिसके बाद लोगों ने यहां शिवलिंग खोज कर मंदिर की स्थापना की. मंदिर के पुजारी के मुताबिक यहां लोग अपनी श्रद्धा अनुसार दूध गंगाजल शहद गन्ने के रस आदि से भगवान का अभिषेक किया करते हैं, जिससे भगवान यहां आने वाले भक्तों की सभी कामना पूरी करते हैं.