एक स्टूडेंट से प्रेरित होकर बदली दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तस्वीर, सिसोदिया से आखिर क्या कहा था छात्र ने
मनीष सिसोदिया ने कहा, चूंकि हमारा ध्यान बच्चे की सफलता की बजाय उसे नौकरी दिलाने पर रहता है, ऐसे में हमें अपने नजरिए में बदलाव लाने की जरूरत है. राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प ने हमें शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने में मदद की है.
नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को जी मीडिया के मंच पर एक बड़ा खुलासा किया. उन्होंने कहा कि एक बार एक छात्र ने उनसे कहा था कि भारत का भविष्य निजी स्कूलों की पढ़ाई में है न कि सरकारी स्कूलों की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के शिक्षा मॉडल में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का निर्णय लिया.
सिसोदिया ने यह बात एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवॉर्ड्स के मंच जी डिजिटल की ग्रुप एडिटर पूजा सेठी से बातचीत के दौरान कही. शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्शन करने वाले शैक्षिक नेताओं, संस्थानों, शिक्षकों और छात्रों के प्रयासों को स्वीकार करने और उनकी सराहना करने के लिए एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवार्ड्स का आयोजन किया गया था. इस दौरान सिसोदिया ने बच्चों और शिक्षकों को भी बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की बात कही.
भारत में उच्च शिक्षा को लेकर मनीष सिसोदिया ने कहा, चूंकि हमारा ध्यान बच्चे की सफलता की बजाए उसे नौकरी दिलाने पर रहता है, ऐसे में हमें अपने नजरिए में बदलाव लाने की जरूरत है. राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प ने हमें शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने में मदद की है. आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्र जेईई (एडवांस्ड) और एनईईटी पास कर रहे हैं और यहां के शिक्षक आईआईएम और विदेशों में प्रशिक्षित हैं.
दिल्ली के शिक्षामंत्री ने कहा कि हैप्पीनेस पाठ्यक्रम ने छात्रों की मानसिकता बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हैप्पीनेस स्कूल छात्रों के अपने परिवार के प्रति व्यवहार को बदल देता है. ये स्कूल बच्चों में भावनात्मक बदलाव लाने में कामयाब हुए हैं. दरअसल दिल्ली सरकार ने जुलाई 2018 में हैप्पीनेस करिकुलम लॉन्च किया था. यह दिल्ली के 1,030 सरकारी स्कूलों में किंडरगार्टन से कक्षा 8 तक के सभी छात्रों के लिए लाया गया. हर दिन छात्रों के लिए खुशी और स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए हर दिन 35 मिनट की क्लास दी जाती है.
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