नमामि गंगे की तर्ज पर दिल्ली में यमुना नदी की सफाई का काम शुरू, लोगों को किया जा रहा जागरूक
दिल्ली और प्रदूषण का आपस में गहरा रिश्ता है. प्रदूषण हमेशा सुर्खियों में बना रहता है चाहे वो जल प्रदूषण हो. वायु हो या ध्वनि प्रदूषण हो. दिल्ली में यमुना प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है. गर्मी शुरू होते ही दिल्ली में यमुना एक सफेद चादर के नीचे छिप जाती है. सफेद चादर ओढ़े यमुना को अगर आप दूर से देखेंगे तो आपको लगेगा कि दिल्ली में बर्फ पड़ रही है.
हरीश झा/नई दिल्लीः दिल्ली और प्रदूषण का आपस में गहरा रिश्ता है. प्रदूषण हमेशा सुर्खियों में बना रहता है चाहे वो जल प्रदूषण हो. वायु हो या ध्वनि प्रदूषण हो. दिल्ली में यमुना प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है. गर्मी शुरू होते ही दिल्ली में यमुना एक सफेद चादर के नीचे छिप जाती है. सफेद चादर ओढ़े यमुना को अगर आप दूर से देखेंगे तो आपको लगेगा कि दिल्ली में बर्फ पड़ रही है, लेकिन असल मे वो सफेद चादर यमुना को प्रदूषित करती है.
केंद्र सरकार द्वारा साल 2014 में गंगा नदी की सफाई के लिए एक प्रॉजेक्ट को अनुमति दी गई थी- "नमामि गंगे". उसके बाद से ही गंगा नदी को साफ करने का अभियान शुरू किया गया. इसके लिए "NATIONAL MISSION FOR CLEAN GANGA (NMCG)" की स्थापना भी की गई. NMCG के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था. गंगा के साथ-साथ गंगा में मिलने वाली नदियों को भी साफ रखा जाए. इसके लिए ही देश के कई हिस्सों में NMCG द्वारा राज्य सरकारों की मदद से नदियों को साफ रखने के लिए "SEWAGE TREATMENT PLANT (STP)" भी बनाये जा रहे है.
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गंगा में मिलने वाली सबसे बड़ी नदी है यमुना. यमुना नदी भारत के पांच शहरों में बहती है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली. यमुना की कुल लंबाई 1376 km है. जिसका केवल 2% ही राजधानी दिल्ली से होकर निकलता है, लेकिन यमुना के प्रदूषण का सबसे बड़ा हिस्सा दिल्ली में ही है. दिल्ली के वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक की लंबाई केवल 22 km है और हैरान करने वाली बात ये है कि यमुना में प्रदूषण का 80% हिस्सा केवल दिल्ली में ही है.
दिल्ली में यमुना के इसी दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए NMCG द्वारा राजधानी दिल्ली में कई STP का निर्माण किया जा रहा है. इन्हीं में से एक दिल्ली के कोरोनेशन पार्क में बनाया गया STP प्लांट. इस प्लांट को मार्च 2022 में शुरू कर दिया गया है. इस प्लांट को NMCG और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 50 : 50 पार्टनरशिप के तौर पर तैयार किया गया है. इसकी कैपेसिटी 318 मिलियन लीटर पर डे (318MLD) यानी कि ये प्लांट हर दिन लगभग 32 करोड़ लीटर गंदे पानी को साफ करेगा. जिसके बाद उस साफ पानी को जहांगीरपुरी ड्रेन में छोड़ दिया जाएगा.
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तो वहीं, दिल्ली के ओखला में एक STP प्लांट तैयार किया जा रहा है. जिसका काम इस साल के अंत तक खत्म कर लिया जाएगा. पूरा होने के बाद ये एशिया का सबसे बड़ा वही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा STP प्लांट बन जाएगा. ओखला में तैयार किए जा रहे इस प्लांट की कैपेसिटी 564MLD होगी. यानी कि ये प्लांट हर दिन लगभग 56 करोड़ लीटर से अधिक गंदे पानी को साफ करने में सक्षम होगा. इस प्लांट को भी NMCG और दिल्ली सरकार द्वारा 85:15 पार्टनरशिप से निर्मित किया जा रहा है.
इस समय NMCG द्वारा देश के 6 शहरों, जिनमें दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड शामिल है. कुल 43 प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है. इनमें से दिल्ली में यमुना की सफाई को लेकर 6 प्रोजेक्ट्स पर या तो काम पूरा कर लिया गया है या इस साल के अंत तक काम पूरा कर लिया जाएगा. इन 6 प्रोजेक्ट्स की कुल लागत 1762.7 करोड़ रुपये होगी.
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वहीं, पूरा होने के बाद इन STP की कुल क्षमता 1268 MLD की हो जाएगी. यमुना को साफ करना एक अलग बात है वही इसे साफ बनाये रखना एक अलग बात है. यमुना को साफ रखने के लिए NMCG को सबसे अधिक जरूरत होगी यमुना के आस-पास रहने वाले लोगों को इसके बारे में जागरूक करने की. जिसके बाद ही यमुना को पूरी तरह से साफ किया जा सकेगा और तभी इसका असर गंगा नदी को साफ करने में भी किया जा सकेगा.
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