Noida Crime: डिमांड के हिसाब से करते थे चोरी, वाहन चोर गिरोह के पांच सदस्य हुए गिरफ्तार
Noida Crime: गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गिरोह के सदस्यों ने दिल्ली-एनसीआर में अबतक वाहन चोरी के 20 से अधिक घटनाओं को अंजाम दिया है. ये आरोपी मांग के अनुसार वाहन चोरी की घटना को अंजाम देते थे और फिर उन्हें सस्ते दामों पर बेच देते थे.
Noida Vehicle Thieves: गौतमबुद्ध नगर जिले की पुलिस ने अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के पांच कथित सदस्यों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि नोएडा फेस-3 थाना की टीम ने दो आरोपियों को मुठभेड़ के बाद जबकि तीन अन्य को घेराबंदी कर गिरफ्तार किया गया है. अपर पुलिस उपायुक्त हृदेश कठेरिया ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बारे में बताया कि गिरोह के सदस्य चोरी के वाहनों को दिल्ली, बिहार और राजस्थान में बेचते थे.
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि गिरोह के सदस्यों ने दिल्ली-एनसीआर में अबतक वाहन चोरी के 20 से अधिक घटनाओं को अंजाम दिया है. पुलिस के मुताबिक आरोपियों की पहचान इटावा निवासी फन्नू अली, आशीष और अमित व बस्ती निवासी फिरोज अहमद और मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी दिनेश उर्फ मुलायम के रूप में हुई है. पुलिस ने बताया कि अमित और फिरोज गिरोह के सरगना हैं. इटावा के अमित की मुलाकात करीब छह साल पहले फन्नू और आशीष से हुई. इसके बाद तीनों ने वाहन चोरी की घटना को अंजाम देना शुरू किया. बाद में फिरोज अहमद और दिनेश में उनके साथ आ गए.
ये भी पढ़ें: सरकार की 'वादा खिलाफी' के विरोध में 16 फरवरी को कर्मचारी करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल
पुलिस ने बताया कि आरोपी ममूरा गांव के पास चार पहिया वाहन की चोरी करने की फिराक में थे तभी पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. कठेरिया ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से चोरी के तीन वाहन बरामद किए गए हैं. उन्होंने बताया कि आशीष के खिलाफ दिल्ली और उत्तर प्रदेश के इटावा, औरेया व गौतमबुद्ध नगर जिले के अलग-अलग थानों में कुल 12 मामले दर्ज हैं, जबकि फिरोज के खिलाफ छह, अमित के खिलाफ नौ, दिनेश के खिलाफ दो और फन्नू के खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं. इस मामले में जानकारी देते हुए एसीपी दीक्षा सिंह ने बताया कि गिरोह का एक सदस्य पहले रेकी करता था और उसके बाद अन्य कार की चोरी करते थे. उन्होंने बताया कि पकड़ में आने से बचने के लिए आरोपी पहले वाहन में लगी जीपीएस प्रणाली को नष्ट करते थे. साथ ही उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि आरोपी मांग के अनुरूप वाहन की चोरी करते थे और सस्ते दाम में इन्हें बेचते थे.