Cheetah: नूंह के कोटला गांव में बकरी पालक को मिले चीता नस्ल के दो शावक, दूध पिलाकर बचाई जान
Hatyana News: नूंह के ग्रामीणों ने मानवता का परिचय देते हुए दोनों शावकों को बड़े प्यार से रखा और इनके मिलने की सूचना वन विभाग को दे दी गई. दरअसल हरियाणा सरकार भी अब अरावली पर्वत में सफारी पार्क बनाने का विचार कर रही है, ताकि जंगली जानवरों के लिए एक सुरक्षित स्थान बन सके.
Haryana News: नूंह जिले के कोटला गांव में चीता नस्ल के दो शावक पाए गए हैं. वन विभाग को इन शावकों की सूचना दे दी गई है. ग्रामीण शावकों का ध्यान रख रहे हैं. समाजसेवी राजुदीन ने बताया कि जब वन विभाग की टीम गुरुग्राम और नूंह से आएगी और इन्हें सौंप दिया जाएगा.
घटना गुरुवार की है. गांव के दो बकरी पालक अपनी बकरियों को चराने के लिए रोज की तरह अरावली की पहाड़ियों पर गए थे. लौटते समय रस्ते में उन्हें चीता नस्ल के दो शावक मिले. हालांकि उस समय वो समझ नहीं पाए थे कि आखिर ये बच्चे किस जानवर के हैं. दोनों पशुपालक शावकों को घर पर ले अपने घर पहुंचे. बुजुर्गों ने शावकों की पहचान बताई. उन्होंने बताया कि यह चीता नस्ल का आदमखोर जानवर होता है, जो पशुओं को पालक झपकते ही उठाकर ले जाता है.
साहून और सहरून ने बताया कि वह अपनी बकरियों को अरावली के पहाड़ों में चराते हैं. कल गुरुवार को जब वह अपनी बकरियों को चराकर वापस घर आ रहे थे तो उन्हें ये दो बच्चे दिखाई दिए. आसपास कोई बड़ा जानवर नहीं था. घर आकर पर आकर उन्होंने शावकों को बड़े प्यार से रखा और बकरियों का दूध पिलाया, ताकि वह भूखे न रहें.
देखते ही देखते यह खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई और ग्रामीण शावकों को देखने के लिए आने लगे. अभी दोनों शावक स्वस्थ नजर आ रहे हैं. वन विभाग को इन शावकों के बारे में जानकारी दे दी गई है. समाजसेवी राजुदीन ने कहा कि जैसे ही उन्हें इनकी सूचना मिली तो उन्होंने वन विभाग को इस बारे में बता दिया. जब वन विभाग की टीम आएगी और इन्हें अपने कब्जे में ले लेगी.
अरावली पर्वत में काफी जंगली जानवर देखने को मिलते हैं. अक्सर पशु चराने गए ग्रामीणों को जंगली जानवर दिख जाते हैं. हरियाणा सरकार भी अब अरावली पर्वत में सफारी पार्क बनाने का विचार कर रही है, ताकि जंगली जानवरों के लिए एक सुरक्षित स्थान बन सके.
इनपुट: अनिल मोहनियां