Panipat News: एक ओर देश विदेश के श्रद्धालु अयोध्या के मंदिर में राम लला के दर्शन करने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पानीपत एक स्वर्णिम पल का साक्षी बनने जा रहा है. पानीपत में महाभारत काल के प्राचीन हनुमान मंदिर में दुनिया की पहली राम पंचायती मूर्ति की स्थापना होने वाली है. पारा, तांबा सोना,चांदी व कांस्य समेत अष्टधातु की बनी इस मूर्ति में श्रद्धालु भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न पूरे परिवार के दर्शन होंगे. आगामी  31 मई को शोभा यात्रा निकाली जाएगी और 1 जून को मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. 


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निर्माण समिति के संयोजक विकास गोयल ने बताया कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष तौर पर बनारस से पंडितों को आमंत्रित किया गया है, जो लगातार पिछले कई दिनों से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुटे हैं. 


500 किलो वजनी है यह मूर्ति 
विकास गोयल ने बताया कि लगभग साढ़े 4 फुट की राम पंचायती मूर्ति का वजन 500 किलोग्राम है. इसके अलावा अष्टधातु से बनी नव दुर्गा के नौ स्वरूपों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. गोयल ने बताया कि सभी मूर्तियां मुरादाबाद और जयपुर में बनवाई गई हैं. 


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मंदिर की दीवारों पर हनुमान जी के 1100 नाम 
विकास गोयल ने बताया कि हरियाणा के इस एकमात्र मंदिर में ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में हनुमानजी यहां स्वयं प्रकट हुए थे, जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना हुई. यह देश का पहला हनुमान मंदिर हैं, जिसकी दीवारों पर उनके 1100 नाम अंकित हैं. अलग-अलग नामों को हथौड़े व छेनी से पत्थरों पर खुदाई कर अंकित किया गया. कहा जाता है कि सैनिक इस हनुमान मंदिर से आशीर्वाद लेकर युद्ध के लिए निकलते थे. 


निर्माण समिति के संयोजक विकास गोयल ने बताया कि संपूर्ण पानीपत हनुमान जी के सानिध्य में है. पानीपत के राजा के रूप में वे विराजमान हैं. जन्मोत्सव पर हनुमान जी घूम-घूमकर पूरे पानीपत के लोगों को आशीर्वाद देते हैं. 
मंदिर के पंडित आचार्य देवनारायण की अध्यक्षता में काशी विश्वनाथ से आए ब्राह्मण प्राण प्रतिष्ठा की पूजा में 1 सप्ताह से लगे हुए हैं. आचार्य देवनारायण ने बताया कि बनारस से 11 विद्वान पंडितों का समूह अष्टधातु  मूर्ति की अधिवास प्रक्रिया लगातार कर रहा है. 


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मंदिर में एक सुरंग बंद 
विकास गोयल ने इस मंदिर की विशेषता के बारे में बताया कि दिल्ली के कोणार्क मंदिर की तरह इस मंदिर में भी सूर्य देवता केवल हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन करते हैं. हनुमान और सूर्य देवता का मिलन प्राचीन काल से चलता रहा है. विकास गोयल ने बताया कि मान्यता है कि चुलकाना धाम व इस हनुमान मंदिर की यात्रा करने से भक्तों के दुख दूर होते हैं. उन्होंने बताया कि युद्ध के समय हिंदू सैनिक जब इस मंदिर में माथा टेकने आते थे तो पैरों में जूतों के साथ बाहर से ही हनुमान जी को सलामी देते हैं. वर्षों से इस मंदिर में एक सुरंग थी, जो बंद कर दी गई है.


निर्माण समिति के संयोजक विकास गोयल ने पंचायती में भगवान श्रीराम अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान होते हैं. ऐसा समय काफी कम रहा, जब भगवान श्रीराम अपने पूरे परिवार के साथ सिंहासन पर विराजमान हों. पहले श्रीराम वनवास चले गए. अंतिम समय में सीता जी वन में चली गईं. 


मात्र दर्शनभर से दुख हो जाते हैं दूर 
भक्त रमेश बंसल ,हरीश बंसल ,विशाल गोयल ,काकू बंसल व मूलचंद का कहना है कि हमारे पूर्वज भी इस मंदिर की अलौकिक शक्ति को देखते आ रहे हैं उन्होंने बताया कि हनुमान जी का यह स्वरूप अपने आप में अद्भुत व अद्वितीय है. सभी भक्तों ने बताया कि इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने मात्र से लोगों के दुख दूर होते हैं. श्रद्धालु मुख्य कंबल बाजार से प्राचीन कालीन हनुमान मंदिर का नाम लेकर पहुंच सकते हैं.


इनपुट: राकेश भयाना