AIIMS: देश में साल दर साल बढ़ रही एम्स की संख्या, फिर दिल्ली में मरीजों की भीड़ क्यों नहीं हो रही कम?
AIIMS in India: यूपी और बिहार में अपने-अपने एम्स होने के बावजूद भी यूपी, बिहार से सबसे ज्यादा मरीज दिल्ली एम्स का रुख क्यों कर रहे हैं. दिल्ली के एम्स में इमरजेंसी और ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है, जिसमें तकरीबन 30 प्रतिशत मरीज दिल्ली के होते हैं. बाकी 70 प्रतिशत में बिहार और यूपी के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा होती है.
AIIMS Inauguration News: पीएम नरेंद्र मोदी 25 फरवरी को एक साथ 5 नए एम्स को राष्ट्र को समर्पित करने वाले हैं. गुजरात के राजकोट में नए एम्स का फीता काटा जाएगा, जबकि पंजाब के भठिंडा, यूपी के रायबरेली, पश्चिम बंगाल के कल्याणी, आंध्र प्रदेश के मंगलागिरी को राजकोट से ही वर्चुअल कार्यक्रम में जनता को सौंपा जाएगा.
इससे पहले 16 फरवरी को पीएम नरेंद मोदी ने एम्स-रेवाड़ी की आधारशिला रखते हुए कहा था कि ये अस्पताल न केवल हरियाणा और आसपास के राज्यों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार भी पैदा करेगा. उन्होंने कहा था कि पिछले 10 वर्षों में 15 नए एम्स और इसके अलावा 300 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज निर्माण को मंजूरी दी गई है. इन मेडिकल कॉलेजों में हरियाणा के प्रत्येक जिले में खोला जाने वाला एक मेडिकल कॉलेज भी शामिल है.
भारत में एम्स अस्पताल की संख्या कुल 25 किए जाने की योजना है. सरकार के दावों को मानें तो पहले से 8 एम्स दिल्ली, पटना, रायपुर, भुवनेश्वर, जोधपुर, ऋषिकेश, भोपाल और रायबरेली में चल रहे हैं. हाल ही में हुए उद्घाटनों के साथ इस सालके अंत तक कुल 20 एम्स चालू हो जाएंगे. बड़ा सवाल ये है कि एम्स दिल्ली में मरीजों की भीड़ फिर भी कम क्यो नहीं हो रही.
यूपी और बिहार में अपने-अपने एम्स होने के बावजूद भी यूपी, बिहार से सबसे ज्यादा मरीज दिल्ली एम्स का रुख क्यों कर रहे हैं. दिल्ली के एम्स में इमरजेंसी और ओपीडी में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है, जिसमें तकरीबन 30 प्रतिशत मरीज दिल्ली के होते हैं. बाकी 70 प्रतिशत में बिहार और यूपी के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा होती है. इसकी बड़ी वजह ये है कि सरकार जो नए एम्स खोल रही है, उनमें से ज्यादातर की जिम्मेदारी एम्स दिल्ली के डॉक्टर ही जाकर संभालते हैं. ऐसे में दिल्ली एम्स के डॉक्टरों पर सबसे ज्यादा विश्वास है. सबसे ज्यादा बेड्स और सुविधाएं भी दिल्ली एम्स के पास ही हैं. हालांकि वो मरीजों की भीड़ के आगे नाकाफी हैं.
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बाकी सभी राज्यों के एम्स डॉक्टरों और स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. कई तो पूरी तरह चालू भी नहीं हो सके हैं. इस वक्त देश में नए बने एम्स का स्टेटस कुछ इस तरह से हैं.
एम्स नागपुर- 1577 करोड़– ओपीडी और ओटी चालू
एम्स गोरखपुर- 1011 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू
एम्स गुवाहाटी- 1123 करोड़ - ओपीडी और ओटी चालू ( निर्माण जारी)
एम्स बिलासपुर- 1471 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू
एम्स मदुरैई- 1977 करोड़- अभी काम चालू नहीं हुआ
एम्स मंगलागिरी- 1618 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू
एम्स कल्याणी- 1754 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू
एम्स राजकोट- 1195 करोड़- ओपीडी चालू, निर्माणाधीन
एम्स दरभंगा- 1264 करोड़- राज्य सरकार से जमीन के झगड़े में फंसा है
एम्स विजयपुर, जम्मू- 1661 करोड़- निर्माण कार्य 95% पूरा
एम्स अवंतिपुरा, कश्मीर- 1828 करोड़- निर्माणाधीन
एम्स देवघर- 1103 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू, निर्माण जारी
एम्स बीबीनगर- 1365 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू- 50% काम बाकी
एम्स रेवाड़ी- 1646 करोड़- टेंडर की प्रक्रिया चालू
एम्स भठिंडा- 925 करोड़- ओपीडी और ओटी चालू
केंद्र सरकार का दावा है कि यूपीए के समय 37,330 करोड़ रुपये स्वास्थ्य को मिले थे, जबकि एनडीए के समय में ये बजट 90,658 करोड़ का हो गया है. ज्यादातर एम्स पूरी तरह चालू नहीं हैं. कहीं मशीनें तो कहीं मैनपावर की कमी है.
सभी नए एम्स के लिए अनुभवी डॉक्टरों और स्टाफ की भर्ती करना एक बड़ा काम है और भारत में इतनी संख्या में काबिल डॉक्टर नहीं हैं जो सरकारी व्यवस्था में काम करने के लिए तैयार हों.