Shani Dhaiya 2022: हिंदू ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शनि ग्रह 12 जुलाई से राशि में प्रवेश कर रहे हैं. शनि ग्रह वक्री चाल चलते हुए कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ वक्री शनि का गोचर बाकी सभी राशियों को प्रभावित करेगा. इतना ही नहीं शनि राशि परिवर्तन का असर उन राशि पर पड़ेगा जिन पर साढ़े साती या ढैय्या चल रही है. शनि देव इन दिनों कुंभ राशि में है और यहीं वजह है कि कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर ढैय्या चल रही है.


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कर्क और वृश्चिक वाले जातकों को मिलेगी बड़ी सफलता


लेकिन, 12 जुलाई को वक्री शनि के मकर राशि में प्रवेश करते ही दोनों राशियों पर ढैय्या शुरू हो जाएगी और कर्क और वृश्चिक राशिवालों को राहत मिल जाएगी. इसी के साथ इन राशि वाले जातकों को कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त होगी. आने वाले दिनों में सभी रुके हुए काम पूर्ण होंगे. अगर किसी को पैसा उधार दिया हुआ है तो वो भी आपको वापस मिलेगा.


ज्योतिष के अनुसार इन लोगों के तनाव और शारीरिक कष्ट कम होंगे. इन राशि वाले लोगों को कार्यक्षेक्ष में प्रमोशन, इंक्रीमेंट और व्यापार में वृद्धि होगी. अगर कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में है, तो काफी लाभ देंगे. इस दौरान शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय जरूर करें.


शनि शांति मंत्र स्तुति


कहते हैं कि राज्य नष्ट हुए राजा नल को शनिदेव ने सपने में एक प्रार्थना मंत्र का उपदेश दिया था. उसी नाम स्तुति से उन्हें पुनः राज्य उपलब्ध हुआ था. इसलिए उसी स्तुति से शनि की प्रार्थना करनी चाहिए. कहा जाता है कि जो लोग शनिवार को इसका पाठ करते हैं उन लोगों को कभी शनि पीड़ा नहीं भोगनी पड़ती.  


शनि का पाठ इस प्रकार करें


क्रोडं नीलांजनप्रख्यं नीलवर्णसमस्नजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं नमस्यामि शनैश्चरम्।।


नमोर्कपुत्राय शनैश्चराय नीहारवणाजनमेचकाय। श्रुत्वा रहस्यं भवकामदश्च फलप्रदो में भव सूर्यपुत्र।।


मनोस्तु प्रेतराजाय कृष्णदेहाय वै नमः। शनैश्चराय क्रूराय शुद्धबुद्धिप्रदायिने।।


य एभिर्नामभिः स्तौति तस्य तुष्टा भवाम्यहम्। मदीयं तु भयं तस्य स्वपेपि न भविष्यति।।


जानें, शनि देव के विशेष मंत्र


ऊँ शन्नो देवीरभिष्टयआपो भवन्तु पीतये शंयोर भिस्त्रवन्तु नः।


ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।


ऊँ शं शनैश्चराय नमः।


ऊँ ऐं ह्रीं स्त्रहं शनैश्चराय नमः।


ऊँ शं शनैश्वराय नमः।


ऊँ स्वः भुवः भूः ऊँ सः खौं खीं खां ऊँ शनैश्चराय नमः।


नीलांजनं समाभासं रविपुत्र यमाग्रजम। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।


ऊँ शनैश्चराय सशक्तिकाय सूर्योत्मजाय नमः।


ऊँ शान्ताय नमः


ऊँ शरण्याम नमः


ऊँ वरेण्याय नमः


ऊँ सर्वेशाय नमः


ऊँ सौम्याय नमः


ऊँ सुरवन्द्याय नमः


ऊँ सुरलोकविहारिणे नमः


ऊँ सुखासनोपविष्टाय नमः


ऊँ सुन्दराय नमः


ऊँ घनाय नमः


ऊँ घनरूपाय नमः


ऊँ घनाभरणधारिणे नमः


जानें, शनि देव की कृपा प्राप्ति के उपाय


पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल में दीपक जलाकर सात परिक्रमा करें. इसके बाद सात लड्डू कुत्ते को खिलाएं. इससे शनि देव प्रसन्न होकर अनुकूल फल प्रदान करेंगे.


काले रंग के घोड़े की नाल खोजकर लाएं और शनिवार के दिन उंगली के नाप के बराबर अंगूठी बनवाकर घर ले आएं. गंगा जल से  धोकर रातभर कच्चे दूध में डुबोकर प्रातःकाल में श्रद्धा से दाहिनें हाथ की मध्यमा उंगली में पहने.


शनिवार के दिन सरसों के तेल में 7 दाने काले चने डाल दें. 7 दाने जौ के, 7 जाने काली उड़द के और उसमें सवा रुपया रखकर उसमें अपना मुंह देखकर दान करें या शनि मंदिर में रख दें.


अगर आप कोर्ट कचेहरी से परेशान हों तो श्री शनिदेव की आराधना, साधना और शनि अभिषेक अवश्य करें.


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