नई दिल्ली: साल 2022 डीयू के लिए बड़े बदलावों भरा साल रहा है, एक ओर जहां मेरिट बेस्ड एडमिशन से हट के डीयू ने एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर छात्रों को दाखिला दिया, वहीं नई प्रणाली की वजह से दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स ने अपनी क्षमता से 30 प्रतिशत ज्यादा छात्रों को दाखिला दिया है. 


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श्रीराम कॉलेज में 30 प्रतिशत ज्यादा छात्र
दिल्ली विश्वविद्यालय ने साल 2022 में Common University Entrance Test (CUET) के आधार पर एडमिशन लेने का फैसला लिया था, जिसके तहत Central Seat Allocation System (CSAS) प्रणाली को भी अपनाया था. डीयू ने फैसला किया था कि पहले कॉउन्सलिंग रॉउन्ड में विश्वविद्यालय पर्याप्त सीटों से ज्यादा छात्रों को एडमिट करेगा. अनआरक्षित, पिछड़े वर्ग और EWS श्रेणी के 20 प्रतिशत छात्रों को तो वहीं SC, ST, और PWD वर्ग के 30 प्रतिशत ज्यादा छात्रों को एडमिशन दिया गया था. हालांकि, श्रीराम कॉलेज ने शुरु में ही CSAS सिस्टम पर अपना विरोध जाहिर किया था. 


क्यों दिया गया 30 प्रतिशत ज्यादा छात्रों को एडमिशन?
यूनिवर्सिटी ने ये सोच कर ज्यादा छात्रों को दाखिला दिया था कि छात्रों के एडमिशन विथड्रॉअल और रिजेक्शन के बाद कॉलेजों के कुल क्षमता जितने ही छात्र रह जाएंगे. गौरतलब हो कि इस फैसले पर श्रीराम कॉलेज ने कहा था कि SRCC जैसे कॉलेज को कोई भी छात्र कभी छोड़ना नहीं चाहेगा और हुआ भी ऐसा ही. 


SRCC ने किया केवल एक कॉउन्सलिंग रॉउन्ड
सीटों को भरने के लिए जहां दिल्ली विश्वविद्यालय ने तीन कॉउन्सलिंग रॉउन्ड करवाया, वहीं श्रीराम कॉलेज ने केवल एक रॉउंड करवाया. पहले कॉउन्सलिंग रॉउन्ड के बाद कॉलेज के पास कोई भी खाली सीट नहीं बची थी. श्रीराम कॉलेज में बीकॉम ऑनर्स कोर्स के लिए कुल 626 सीटें ही थी लेकिन फाइनल एडमिशन 756 छात्रों को मिला जो कि स्वीकृत सीट से 20.7 प्रतिशत ज्यादा है. कुछ ऐसा ही हाल  BA (Hons) Economics कोर्स का भी रहा जहां 155 सीट के मुकाबले 185 छात्रों को दाखिला मिला जो कि स्वीकृत सीट से 19.35 प्रतिशत ज्यादा है. 


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वीसी ने अतिरिक्त व्यवस्था करने के दिए निर्देश


वीसी योगेश सिंह ने बताया कि अतिरिक्त छात्रों के लिए कॉलेज को व्यवस्था में इजाफा करने का निर्देश दिया गया है, यूनिवर्सिटी कॉलेज को इस प्रक्रिया में पूरी तरह से मदद करने को तैयार है. उन्होंने आगे कहा कि ये देखना दिलचस्प होगा कि श्रीराम जैसे बड़े कॉलेजों में कितने ज्यादा छात्रों ने दाखिला लिया है. क्या ऐसे कॉलेजों में छात्रों की संख्या 20-30 प्रतिशत ज्यादा है या अतिरिक्त छात्रों ने कहीं और एडमिशन लिया है, अभी इसकी पूरी जानकारी विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है.