कृष्ण जन्मभूमि को हिंदुओं को सौंपने से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, इस आधार पर की PIL खारिज
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि वह एक कट्टर हिंदू हैं. पूजा करने के उनके मौलिक अधिकार को सुविधाजनक और संरक्षित किया जाए.
Krishna Janmabhoomi: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया गया था, जिसमें यूपी सरकार को कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान का अधिग्रहण संबंधी निर्देश देने और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए हिंदुओं को सौंप देने की मांग की गई थी.
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने उच्च न्यायालय के 11 अक्टूबर 2023 के आदेश के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मुद्दा पहले से ही हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है. इसलिए इस पर कई याचिका न रखें. याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने पहले से लंबित मुकदमों के आधार पर जनहित याचिका खारिज की. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) को खारिज कर दिया गया है.
माहेश्वरी ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि वह एक कट्टर हिंदू हैं. पूजा करने के उनके मौलिक अधिकार को सुविधाजनक और संरक्षित किया जाए. कृष्ण जन्मभूमि श्रीकृष्ण के जन्म का वास्तविक स्थान है, जिस पर शाही ईदगाह मस्जिद मौजूद है. इस जगह को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहीत किया जाना चाहिए और कृष्ण जन्मस्थान में भगवान कृष्ण विराजमान की पूजा करने के लिए हिंदुओं को सौंप दिया जाना चाहिए.
याचिका का विरोश करते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि यह सार्वजनिक हित में नहीं है. वकील ने 26 मई 2023 को हाईकोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया कि जिसके द्वारा उसने सिविल जज, सीनियर डिवीजन, मथुरा के समक्ष लंबित 10 मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया. वकील ने कोर्ट में बताया कि ये सभी मामले जनहित याचिका की तरह ही हैं.
हाईकोर्ट का कहना है कि उसके समक्ष लंबित मुकदमे श्री कृष्ण जन्मस्थान स्थल पर पूजा करने के अधिकार, शाही ईदगाह मस्जिद की कथित संरचना को हटाने समेत कई अन्य याचिकाओं से संबंधित हैं. चूंकि वर्तमान रिट में शामिल मुद्दे पहले से ही लंबित मुकदमों में उठाए जा रहे हैं, ऐसे में हम तत्काल किसी पीआईएल पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं.
इनपुट: एजेंसी