नई दिल्ली: 2016 में नोटबंदी के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के फैसले को बरकरार रखा है. जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ अलग-अलग 58 याचिका दाखिल की गई थी.


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बता दें कि इस मामले में जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 5 दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस  ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे. 


सरकार को क्लीनचिट देते हुए कहा कि नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही है. इस आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता. कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के फैसले में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती और आर्थिक फैसले को नहीं पलटा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.


चिदंबरम ने 1000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को गंभीर रूप से दोषपूर्ण बताते हुए दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को खुद से शुरू नहीं कर सकती है. यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है.