SC पंजाब के खिलाफ सुनाएं कड़ा फैसला, जिससे शुरू की जा सके SYL Canal- कृषि मंत्री
SYL मुद्दे को लेकर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान को भी एसवाईएल नहर के पानी की जरूरत है. कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में हरियाणा, दिल्ली, और राजस्थान के सामने पीने के पानी का संकट भी गहरा जाए. उन्होंने कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है कि वह इस मामले में कड़ा फैसला सुनाए और इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाए.
विजय राणा/ चंड़ीगढ़: SYL Dispute:सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देशों पर केंद्रीय जल मंत्री ने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और मनोहर लाल के साथ एसवाईएल (SYL) को लेकर बैठक की थी, लेकिन इसमें पंजाब का रवैया बिल्कुल उल्टा नजर आया. पंजाब किसी की बात मानने को तैयार नहीं है. इसी को देखते हुए हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल (JP Dalal) ने कहा कि हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान को भी एसवाईएल नहर के पानी की जरूरत है. कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में हरियाणा (Haryana), दिल्ली (Delhi) और राजस्थान (Rajasthan) के सामने पीने के पानी का संकट भी गहरा जाए.
कृषि मंत्री जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Dalal) ने कहा कि अब तो सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है कि वह इस मामले में कड़ा फैसला सुनाए और इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाए. उन्होंने कहा कि हरियाणा के पास अपना कोई जल स्त्रोत नहीं है. हरियाणा को भाखड़ा और यमुना से जो पानी मिलता है वह भी जरूरत के मुताबिक आधा है. फिर भी हरियाणा अपना हक काट कर दिल्ली को पानी दे रहा है. इसलिए पंजाब को भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानना चाहिए.
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कृषि मंत्री (Agriculture Minister) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च न्यायपालिका है और अगर इसी तरह राज्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करते रहे तो यह देश कैसे चलेगा. इसी को लेकर कल हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि SYL हरियाणावासियों का हक है और उन्हें पूरी आशा है कि हमें यह हक अवश्य मिलेगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा के लिए SYL नहर का पानी अत्यंत आवश्यक है. अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है, ताकि प्रदेश के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. सर्वविदित है कि सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने SYL का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है.
सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बजाए पंजाब ने वर्ष 2004 में समझौते निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इसके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 (Punjab Reorganization Act, 1966) के प्रावधान के अंतर्गत भारत सरकार के आदेश दिनांक 24.3.1976 के तहत हरियाणा को रावी-ब्यास के फालतू पानी में से 3.5 एमएएफ जल का आबंटन किया गया था. SYL कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है. पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से के लगभग 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है.