इस राज्य में शुरू हुई वेद, पुराण और शास्त्रों की पढ़ाई, पूरे देश को किया प्रेरित
शिक्षामंत्री ने नई नीति की तीन प्रमुख बातें बताई हैं. उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति पारंपरिक शिक्षा पर आधारित होगी. इसमें छात्र-छात्राओं को अपना करियर बनाने के लिए विकल्प मिलेगा. शिक्षा रोजगारपरक होगी.
नई दिल्ली: आज जब महंगे-महंगे इंग्लिश मीडियम स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना स्टेटस सिंबल सा बनता जा रहा है, ऐसे में उत्तराखंड ने पूरे देश के लिए एक बड़ा उदाहरण पेश किया है. उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया है. सबसे पहले इसे प्रदेश के प्री प्राइमरी स्कूलों से शुरू किया गया है. राज्य में 4 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी शुरुआत की गई है.
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बच्चों को दी जाएगी रोजगारपरक शिक्षा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बाल वाटिका से नई शिक्षा नीति की शुरुआत की. शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत का कहना है कि अब छात्र छात्राओं को उनके पसंद के आधार पर पढ़ाई करने का मौका मिलेगा यानी जहां पारंपरिक शिक्षा खासतौर से वेद, पुराण, गीता, रामायण, भागवत और शास्त्र पढ़ने का मौका मिलेगा. वहीं साइंस, टेक्नोलॉजी और मैथ के साथ रोजगारपरक शिक्षा दी जाएगी. इसकी शुरुआत प्री प्राइमरी स्कूल से की गई है.
2030 तक पूरे राज्य में नीति होगी लागू
सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि 2030 तक पूरे प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू कर दी जाएगी. इसे आठवीं से पीजी स्तर तक लागू किया जाएगा. उनका कहना है कि जिस तरह से शिक्षा के क्षेत्र में इस क्रांतिकारी फैसले का फायदा नौनिहालों को मिलेगा. स्कूलों में पारंपरिक पढ़ाई के साथ उन्हें रोजगारपरक शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिलेगा.
4000 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों से शुरुआत
उत्तराखंड राज्य की ओर से लागू नई शिक्षा नीति के तहत बाल वाटिका भी खोली गई है. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश के 4000 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में इसकी शुरुआत की गई है. साल दर साल नई शिक्षा नीति को सभी स्कूलों, कॉलेजों में भी लागू किया जाएगा. उनका कहना है कि इसी तरह से कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को आधुनिक शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिल सके. फिलहाल जिस तरह से नई शिक्षा नीति उत्तराखंड में लागू की है, वह आने वाले समय में अन्य राज्यों को प्रेरित करेगी.
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