दे‌वशयनी एकादशी-

चातुर्मास की शुरुआत दे‌वशयनी एकादशी से होती है और इसका समापन देवउठनी एकादशी पर होता है.

Nikita Chauhan
Oct 13, 2023

मांगलिक कार्य-

कहते हैं कि चातुर्मास के दौरान सभी मांगलिक विवाह, मुंडन, जनेऊ संस्कार कार्यों पर रोक लगा जाती है। देवउठनी एकादशी से सारे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं.

देवउठनी एकादशी-

देवशयनी एकादशी के 4 महीने बाद यानी की देवउठनी एकादशी पर भगवान श्री हरि जागते हैं और इसी के सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.

देवउठनी एकादशी-

देवशयनी एकादशी के 4 महीने बाद यानी की देवउठनी एकादशी पर भगवान श्री हरि जागते हैं और इसी के सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.

देवउठनी एकादशी तिथि-

ज्योतिष के अनुसार, इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को मनाई जाएगी. तो चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी की तिथि और धार्मिक महत्व…

पंचांग-

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी यानी की 22 नवंबर की रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 23 नवंबर की रात 11 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी.

देवउठनी एकादशी का महत्व-

ज्योतिष के अनुसार, हर साल देवशनयी और देवउठनी एकादशी हिंदू धर्म में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है.

भगवान विष्णु निद्रा-

कहते हैं कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं, जिसकी वजह से सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.

मांगलिक कार्यक्रम-

देवउठनी एकादशी के दौरान किसी भी मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं होती, देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और तुलसी जी का विवाह भी किया जाता है.

इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाया जाता है और रात में भगवान विष्णु समेत सभी देवी दावताओं की पूजा की जाती है.

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