Yamunanagar News: बेसहारा, बेसहाय व मजबूर लोगों के साथ-साथ दूरदराज से आए लोगों के लिए सरकार की तरफ से हर जिलों में रैन बसेरे बनाए गए हैं, लेकिन उन्हीं रैन बसेरो में यदि आलम गंदगी का हो तो वह रैन बसेरे नहीं बीमारी को न्योता देने वाले घर हैं. जब हमारी ज़ी मीडिया की टीम ने जीरो ग्राउंड रिपोर्ट पर इन रैन बसेरे को देखा तो तस्वीरों में आप साफ-साफ देख सकते हैं कि रैन बसेरों के हालात क्या है?


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गंदगी की वजह से रैन बसेरे बद से बदतर हो चुके हैं. रैन बसेरों की रजाई गन्दी पड़ी हैं, गद्दे फटे पड़े हैं, फर्श टूटा हुआ है ओर इस पर भी नगरनिगम कर्मचारी  झूठ बोलते नजर आए हैं कि कहीं पर कुछ नहीं है सब ठीक है, लेकिन जब हमने उनसे कहा कि तस्वीरें झूठ नहीं बोलती तो साहब कम बोलते नजर आए. कुछ लोगों का दर्द इतना था कि वह दूसरे राज्य और जिलों से यमुनानगर में मजदूरी करने आए, लेकिन उनको रात को सोने के लिए छत तक नहीं नसीब हुई. गंदगी के आलम में सोने के लिए मजबूर इन मजदूरों का दर्द कौन सुनेगा ?


वहीं पर रैन बसेरे में ठहरने आये लोगों ने बताया कि यहां पीने के लिए पानी नहीं है, शौचालय की सुविधा नहीं है. शौचालय के लिए उन्हें कहीं और जाना पड़ता है. यदि रात को किसी के पेट में दर्द या तबीयत खराब हो जाए तो वह कहां जाएगा. रैन बसेरों के केयरटेकर ने भी माना की टॉयलेट नहीं है, लेकिन होना चाहिए. रैन बसेरो में आग बुझाने के लिए इंस्ट्रूमेंट तो लगे हुए हैं, लेकिन उनकी डेट एक्सपायर है. वहीं पर आमजन ने भी यही कहा कि जब रैन बसेरे बनाए गए तो उन्में सुख सुविधा भी दी जाए और इसमें कहीं न कहीं प्रशासन और नगर निगम नीद में सोया पढ़ा है.


Input: Kulwant Singh