Rakesh Asthana: सर्विस एक्सटेंशन चाहते थे पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना, फेयरवेल स्पीच पर कही ये बात
Delhi Police Commissioner Rakesh Asthana: दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना रिटायर हो गए हैं. इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा कि अभी दिल्ली पुलिस के लिए और काम करना चाहता था, लेकिन सबको रिटायर जरूर होना पड़ता है.
Delhi Police Commissioner Rakesh Asthana Retire: दिल्ली पुलिस के कमिश्नर राकेश अस्थाना रविवार (31 जुलाई) को रिटायर हो गए. 1984 बैच के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना 28 जुलाई 2021 को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बने थे. उनके फेयरवैल में रखे गए कार्यक्रम की जानकारी बेहद कम समय रहते दी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार राकेश अस्थाना को 6 महीने का सेवा विस्तार देने की अटकलें लग रही थीं, जिस पर विराम उस वक्त लग गया, जब गृहमंत्रालय ने लिखित आदेश में बताया कि 1 अगस्त से दिल्ली पुलिस के कमिश्नर 1988 बैच के तमिलनाडु कैडर के संजय अरोड़ा होंगे.
पुलिस लाइन में सलामी
राकेश अस्थाना को 4 बजे न्यू पुलिस लाइन में परेड से सलामी दी गई, जहां पर तमाम बड़े अधिकारी मौजूद रहे. इसके बाद उनके लिए एक मिलन समारोह और स्पीच का कार्यक्रम दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के आदर्श ऑडिटोरियम में रखा गया. यहां पर तमाम सीनियर अधिकारियों ने राकेश अस्थाना के कार्यकाल के दौरान हुए अपने अनुभव साझा किए. इनमें स्पेशल कमिश्नर संजय बेनीवाल, रोबिन हिब्बू, सागरप्रीत हुड्डा और सुंदरी नंदा शामिल थीं.
कही ये बात
कार्यक्रम की समाप्ति के दौरान कमिश्नर राकेश अस्थाना ने आखिरी भाषण की शुरुआत उस सस्पेंस को लेकर शुरू की, जिसमें उनको 6 महीने का सेवा विस्तार देने की अटकलें लगाने की बात कही जा रही थीं. उन्होंने सबके सामने इस बात को माना कि वो भी चाहते थे कि उनको सेवा विस्तार मिले, जिसके लिए उन्होंने कोशिश भी की, लेकिन सरकार ने अपने आदेश दे दिए, जिसके बाद सारा सस्पेंस खत्म हो गया है.
दिल्ली पुलिस के साथ शानदार अनुभव
स्पीच में अस्थाना ने कहा कि पिछले 1 साल का दिल्ली पुलिस का अनुभव बेहद संतोषजनक रहा. काम करने की तमन्ना अभी और है. रिटायर जरूर हुआ हूँ लेकिन तमन्ना अभी और है. मन था दिल्ली पुलिस के लिए काम और करूं, लेकिन रिटायर जरूर होना पड़ता है. दिल्ली पुलिस के साथ सकारात्मक अनुभव रहा.
सभी अधिकारियों का मिला साथ
17वी मंजिल पर ऑफिस ले जाने का मकसद पूरी दिल्ली को देखना था. अपने आप को दूसरे कैडर का होने के बावजूद भी किस तरह का सहयोग बाकी अधिकारियों से मिला उसका जिक्र भी उन्होंने किया. उन्होंने अपने उन गुरुमंत्रों का जिक्र भी किया, जिसको लेकर उन्होंने अपनी पूरी सर्विस की.
दिया गुरुमंत्र
उनका मानना है कि 'सर्विस करो तो सिर उठा के करो, किसी के आगे हाथ फैलाकर मत करो'. 'कोई गलती करता है तो भले ही उसकी पीठ पर कितना भी मारो, लेकिन कभी किसी के पेट पर मत मारो'.
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