Timur Lang: तैमूर लंग के खौफ को झेल ना सका दिल्ली का यह सुल्तान, गद्दी छोड़ भाग गया
Timur Lang attack on Delhi: तैमूर लंग जब दिल्ली में दाखिल हुआ उस समय तुगलक वंश के अंतिम शासक नासिरुद्दीन महमूद का राज था. ऐसा माना जाता है कि तैमूर की हैवानियत और कत्लेआम की खबरों को सुन जान बचाने के लिए दिल्ली छोड़कर भाग गया.
Timur Lang vs Nasiruddin Mahmud: वो खून का प्यासा था, वो सिर्फ और सिर्फ तबाही मचाने के लिए आया था. उसका मकसद जितना हो सके अधिक से अधिक खून बहाना, जितना हो सके लूटपाट करना था. वो अपने मकसद में कामयाब भी हुआ. तूफान की तरफ दिल्ली में दाखिल हुआ और उसकी डर से दिल्ली का तत्कालीन सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद भाग खड़ा हुआ. यूं कहें कि जिस समय दिल्ली को उसकी सबसे अधिक जरूरत थी उस समय दिल्ली के लोगों को तैमूर लंग के रहमोकरम पर छोड़ दिया.
दिल्ली में घुसने से पहले ही कत्लेआम
तैमूर लंग ने हिंदुस्तान आने का फैसला किया और समरकंद में 90 हजार को फौज इकट्ठा की. तैमूर जानता था कि जिस रास्ते वो भारत में दाखिल होगा उसे कड़े प्रतिरोध का सामना करना होगा लिहाजा उसने अपने सैनिकों को बेरहमी की हद तक जाने का आदेश दिया था. इतिहासकार बताते हैं कि सैनिकों से स्पष्ट कहा गया था कि जो भी रास्ते में आए या थोड़ा भी विरोध करे उन्हें मौत की घाट उतार दो. हिंदुकश की पहाड़ियों से लेकर दिल्ली तक की जमीन को उसने खून से लाल कर दिया. दिल्ली में दाखिल होने के बाद उसने कत्लेआम के सिलसिले को चरम तक पहुंचा दिया, चारों तरफ सिर कटी लाशें और क्षत विक्षत शरीर नजर आ रही थीं.
कायर निकला दिल्ली का सुल्तान
तैमूर खुद अपनी आत्मकथा में लिखता है कि दिल्ली का सुल्तान कायर निकला. उसे अपने लोगों की परवाह नहीं थी. जान बचाकर वो भाग खड़ा हुआ. अपनी क्रूरता के बारे में जिक्र करते हुए बताता है कि कैसे एक हाथ में तलवार और दूसरे में कुल्हाली पकड़ी. जो भी रास्ते में उसे तलवार और कुल्हाड़ी से शिकार बनाया. यही नहीं हाथियों के सूड़ को भी काट डाला. उसे प्रतिरोध देने की कोशिश हुई लेकिन वो हैरान था कि उसके हाथ इतनी फुर्ती के साथ काम कैसे कर पा रहे हैं. जब उसने खुद को मशाल की रोशनी में देखा तो उसके कपड़े खून से सने हुए थे. वो खुद चोटिल हो चुका था लेकिन इरादा पक्का था. मैदान को उसने फतह कर लिया था और एक विजेता की तरह दिल्ली शहर में दाखिल हो गया.
कटे सिर का बनाया मीनार
तैमूर की इस विजय पर इतिहासकार बताते हैं कि दिल्ली में दाखिल होने के बाद उसने 100 हाथियों की सलामी ली यही नहीं उसके सैनिक हर घर में जाकर बताते थे कि तुम्हारे सुल्तान की करनी की सजा हर्जाने के तौर पर चुकाना होगा. इन सबके बीच उसके सैनिक लूटपाट करने लगे, औरतों को बेइज्जती की गई. कुछ हिंदू परिवारों ने सैनिकों की इस हरकत का विरोध करते हुए अपनी पत्नियों और बच्चों को घरों में कैद कर आग लगा दी और तैमूर के सैनिकों पर हमला कर दिया. यह देख वो भड़क गया और एक एक शख्स के सिर को कलम कर दिया यह सिलसिला करीब तीन दिन तक चलता रहा. उसने कटे हुए सिर से मीनार बना दी थी.