Supreme Court News: जम्मू कश्मीर में 90 के दशक में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की सीबीआई / एनआईए या फिर कोर्ट द्वारा नियुक्त एजेंसी से जांच कराने को लेकर दायर क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. एनजीओ रूट्स इन कश्मीर की ओर से यह याचिका दायर गई थी.


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2017 में भी खारिज की थी याचिका
इससे पहले जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि इतने सालों बाद इस मामले में सबूत जुटाना मुश्किल होगा. कोर्ट का कहना था कि कश्मीरी पंडितों के साथ जो कुछ हुआ, वो हृदय विदारक है, लेकिन अब हम जांच का आदेश नहीं दे सकते. इसके बाद अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर पुनर्विचार अर्जी भी खारिज कर दी


'नरसंहार के मामलों में कोई समयसीमा नहीं'
इसके खिलाफ रूट्स इन कश्मीर ने क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी. इसमें कहा गया था कि सिर्फ देरी को आधार बताकर याचिका खारिज कर देना ठीक नहीं है. याचिका में सिख विरोधी दंगों की फिर से हो रही जांच का हवाला देते हुए कहा गया है कि इंसानियत के खिलाफ अपराध,  नरसंहार जैसे मामलों में कोई समय सीमा का नियम लागू नहीं होता. 


700 से ज़्यादा कश्मीरी पंडितों की हत्या
याचिका में कहा गया था कि 1989-98 के बीच 700 कश्मीरी पंडितों का मर्डर हुआ. 200 से ज़्यादा मामलों में एफआईआर दर्ज हुई. लेकिन किसी भी मामले में चार्जशीट दायर नही हुई, कोई गुनाहगार साबित नहीं हुआ. याचिका में इन एफआईआर में मुकदमा न चलने की वजहों को तलाशने के लिए भी स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी.


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