शौक के लत में बदलने का `Game`, गुनाह के दलदल में `गुम` हो रहा बचपन
कोरोना की वजह से मजबूरी में देश में ऑनलाइन पढ़ाई का चलन शुरू हुआ. इसके चलते बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन पहुंचे, जिसके बाद अब यह पीढ़ी धीरे-धीरे Online Gaming की लत में पड़ती जा रही है.
PODCAST
- इससे बच्चों की आंखों पर भी असर पड़ रहा है. उनकी दृष्टि पहले की तुलना में कमज़ोर हुई है.
- बच्चों का Sleep Pattern बिगड़ गया है और वो अब इसकी वजह से कम नींद ले रहे हैं
- बच्चों को भूख कम लग रही है.
- एक अध्ययन में ये भी पता चला है कि जो बच्चे Online Games खेलते हैं, उनका दूसरी गतिविधियों में मन नहीं लगता. यानी वो अपने माता पिता से बात करना कम कर देते हैं, अलग थलग रहने लगते हैं. और पढ़ाई से भी उनका मोहभंग हो जाता है.
- Online Gaming Apps एक Addiction यानी लत की तरह है. अगर किसी बच्चे को इसकी लत लग जाए तो उसके लिए ये समझना मुश्किल हो जाता है कि वो क्या सही कर रहा है और क्या गलत कर रहा है.
- जैसे हर खेल में हार जीत होती है, ठीक वैसा ही Online Games में भी होता है. इसमें चूंकि पैसा लगा होता है इसलिए हारने पर बच्चे चिढ़चिढ़े होने लगते हैं और छोटी उम्र से ही उनके डिप्रेशन में जाने का ख़तरा रहता है.
- इसके अलावा Online Games में इतनी हिंसा होती है कि इससे बच्चे हिंसा के प्रति आकर्षित हो जाते हैं.
- लगातार कई घंटे खेलने से हाथों की नसें कमज़ोर हो जाती है.
कैसे जानें कि आपका बच्चा भी Online Gaming की लत का शिकार हो गया है:
- अगर आपका बच्चा अपनी Online गतिविधियों को आपसे छिपाने लगे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.
- बच्चा अचानक से ज़रूरत से ज्यादा समय इंटरनेट पर बिताने लगे तो भी सावधान हो जाएं.
- आपके द्वारा पूछने पर बच्चा अगर अचानक से अपने Digital Device की Screen बदल दे तो समझ जाए कि वो कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए.
- अगर आपका बच्चा इंटरनेट इस्तेमाल करने के बाद अचानक चिड़चिड़ा हो जाए तो ये इशारा है कि कुछ गड़बड़ है.
- इसके अलावा अगर आपके बच्चे की Digital Device में अचानक से आपको बहुत सारे Phone Numbers या E-mail Adress दिखाई दें तो भी आपको सावधान होने की ज़रूरत है.
कुल मिलाकर खतरे की घंटी है. उन माता-पिता के लिये जो अभी भी नहीं संभले हैं. गेमिंग की दुनिया उनके बच्चों को उनसे दूर कर रही है. एक ऐसे रास्ते पर धकेल रही है जहां पहुंचकर रिज़ल्ट कुछ अच्छे नहीं हैं.
चमक रहा ऑनलाइन गेमिंग का धंधा
भारत में इस समय Google Playstore पर 30 लाख से ज़्यादा मोबाइल फ़ोन Application मौजूद हैं. इनमें से 4 लाख 44 हज़ार 226 Online Gaming Apps हैं. जिनमें से 19 हज़ार 632 Apps भारत में ही बनाए गए हैं.
वर्ष 2018 में भारत में Online Games खेलने वाले Users की संख्या 26 करोड़ 90 लाख थी. वर्ष 2020 में ऐसे Users की संख्या बढ़ कर 36 करोड़ 50 लाख हो गई. अनुमान है कि वर्ष 2022 में ये संख्या 51 करोड़ हो जाएगी.
वर्ष 2019 में भारत में Online Gaming Industry की Value 8 हज़ार 300 करोड़ रुपये थी. अनुमान है कि वर्ष 2022 तक ये Value बढ़ कर 21 हज़ार करोड़ रुपये हो जाएगी.
13 हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा बिजनेस
Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry की एक Study में ये अनुमान लगाया गया है कि भारत में वर्ष 2023 तक Real Money Gaming का बाज़ार 13 हज़ार 300 करोड़ रुपये का हो जाएगा. इसे आप ऐसे समझिए कि ऑनलाइन जुए का कारोबार 13 हज़ार करोड़ का होगा.
भारत में कहा जाता है कि नशे की लत दो तरह की होती है. एक लत है नशीले पदार्थों की और दूसरी लत है जुए के नशे की. यानी जुए को भारत में नशे की लत की तरह देखा जाता है.
तीन दशक पहले तक जब मोबाइल फ़ोन एक सीमित वर्ग के पास होता था और Smart Phone नहीं आए थे, तब जुए को एक बीमारी माना जाता था. लोग कहते थे कि जुआ ज़िन्दगियां बर्बाद कर देता है. शायद इसीलिए तब माता पिता अपने बच्चों को जुए से दूर रखते थे और जुआ खेलने वालों को समाज में ग़लत नज़रों से देखा जाता था. तब बड़े बुज़ुर्ग परिवार के सदस्यों से कहते थे कि ऐसे लोगों से दूर रहो, जो जुआ खेलते हैं.
ऑनलाइन जुआ को मिल रहा बढ़ावा
लेकिन आज ज़माना बदल गया है. अब इंटरनेट का युग है और इस युग में जुआ खेलना ट्रेंड है. आज कई Online Gaming Apps के ज़रिए लोग पैसा कमा रहे हैं और इसमें आर्थिक नुक़सान होने का भी जोखिम रहता है. एक अध्ययन के मुताबिक़ भारत में कुल Internet Users में से 40 प्रतिशत ऑनलाइन जुआ खेलते हैं. ये अध्ययन ये भी कहता है कि आने वाले वर्षों में भारत इस मामले में ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ देगा.
इसके अलावा एक और रिसर्च कहती है कि भारत में 18 साल से ऊपर के 80 प्रतिशत लोग साल में कम से कम एक बार ज़रूर जुआ खेलते हैं. Online Gaming Apps आने के बाद तो हर रोज़ जुआ खेलने का एक ट्रेंड बन गया है.
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चीन की तरह उठाने होंगे सख्त कदम
भारत की तरह चीन भी ऑनलाइन गेमिंग का एक बहुत बड़ा बाज़ार है. अब चीन की सरकार ने वहां के बच्चों को इसकी लत से बचाने के लिए नए नियम बना दिए हैं. जिसके मुताबिक चीन की Online Gaming कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे एक हफ्ते में केवल 3 घंटे के लिए ही Online Game खेल पाएं. जो कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हमें लगता है कि भारत में भी इस पर कड़े नियम बनाने की ज़रूरत है.
पिछले दिनों राज्यसभा में बीजेपी के सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि अगर Online Gaming में इतना ज्यादा पैसा शामिल है तो फिर सरकार इस पर टैक्स लगाने का विचार क्यों नहीं करती? हमें लगता है कि ये इंडस्ट्री एक गहरे कुंए की तरह है. इसमें जो लेन देन होता है, उसे तो रेगुलेट करना ही चाहिए. साथ ही इस पर चीन की तरह बच्चों के लिए एक समय निधारित कर देना चाहिए ताकि वो असीमित समय Online Gaming Apps पर ना बिताएं.
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