Diwali 2024: दिवाली रोशनी का त्योहार है. लोग दीये जलाते हैं, घर सजाते हैं, पूजा करते हैं और कहीं-कहीं पटाखे भी चलाते हैं. खुशियों के इस पर्व की छटा राजस्थान के बीकानेर में अलग ही दिखती है. यहां दिवाली के मौके पर उर्दू रामायण का पाठ होता है. मुस्लिम शायर ठेठ उर्दू में भगवान राम के गुणों का बखान करते हैं. यह परंपरा 1935 में शुरू हुई थी, एक मुस्लिम प्रोफेसर की कलम से. उनका नाम था मौलवी बादशाह शाह हुसैन राणा लखनवी. राणा लखनवी, उस वक्त बीकानेर में रहा करते थे. उन्होंने राम की जो कहानी उर्दू में सुनाई, वह लोगों को इतनी भाई कि आज तक सुनी-सुनाई जाती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीकानेर और उर्दू रामायण...


करीब 89 साल पहले, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) ने गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता रखी. प्रतिभागियों को उर्दू में रामायण कहनी थी. राणा लखनवी न सिर्फ उस प्रतियोगिता में शामिल हुए, बल्कि गोल्ड मेडल भी जीता. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन महाराजा गंगा सिंह ने राणा लखनवी की उर्दू रामायण को सुनने के लिए नागरी भंडार में एक समारोह करवाया. उसी समारोह में उर्दू साहित्यकार सर तेज बहादुर सप्रू ने उन्हें बीएचयू की ओर से स्वर्ण पदक दिया.


राणा लखनवी 1913 से 1919 के बीच बीकानेर के शाही परिवार के मुलाजिम हुआ करते थे. उन्हें मुगल शासकों द्वारा जारी किए गए आदेशों को फारसी से उर्दू में अनुवाद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बीकानेर के तत्कालीन शासक गंगा सिंह ने बाद में उन्हें डूंगर कॉलेज में उर्दू का शिक्षक बनाया. लखनवी ने कविताएं भी लिखीं और 1943 में लखनऊ के पास अपने पैतृक गांव सांडली में मृत्यु होने तक साहित्यिक गतिविधियों में शामिल रहे.


यह भी पढ़ें: ‘खून’ से रंगी चट्टानें.. महाभारत के रक्तपात से जुड़े रहस्यमयी शिव मंदिर की कहानी


बीकानेर की दिवाली प्यार बढ़ाने वाली...


बीकानेर में हर साल उर्दू रामायण का पाठ कराने वाले, डॉ जिया-उल-हसन कादरी के मुताबिक, राणा लखनवी की उर्दू रामायण उस महाकाव्य का उर्दू में उपलब्ध एकमात्र पूर्ण संस्करण था. इसकी खूबसूरती उन दोहों में है जो रावण के खिलाफ युद्ध सहित रामायण के दृश्यों का खूबसूरत वर्णन करते हैं. इस साल, दिवाली से कुछ दिन पहले आयोजित कविता पाठ में कादरी ने राणा लखनवी के अनुवाद से कुछ दोहे सुनाए, जिसने सुनने वालों का दिल जीत लिया. राजस्थान भाजपा के नेता डॉ. सुरेंद्र सिंह के घर पर तमाम उर्दू शायर जमा हुए थे.



उर्दू रामायण का एक दोहा है: 'थोड़े दिन में जंग के भी साज़ ओ सामान हो गए, खून से रंगीन बियाबान हो गए/ये भी कुछ जख्मी हो गए, कुछ वो भी जख्मी हो गए, कत्ल-ए-रावण के सब आसार नुमायां हो गए.'