नई दिल्‍ली: सूखे का नाम लेते ही जहन में जो चंद नाम आते हैं, उसमें एक नाम उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड का भी है. इसी बुंदेलखंड का एक जिला है बांदा. दशकों से सूखे की मार झेल रहे बांदा में पानी के प्राकृतिक स्रोत कुआं और तालाब या तो सूख कर खत्‍म हो गए हैं या फिर सूखने की कगार पर खड़े हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इन कुओं और तालाबों को फिर से जिंदा करने के लिए बांदा के जिलाधिकारी हीरालाल ने एक अभियान की शुरूआत की है. इस अभियान की प्रगति और परिणामों देखते हुए बांदा के जिलाधिकारी हीरा लाल को दिल्‍ली में आयो‍जित एक समारोह में सम्‍मानित किया गया है. 


बांदा के जिलाधिकारी को यह सम्‍मान हैबिटैट फॉर ह्यूमैनिटी द्वारा आयोजित 7वें एशिया पैसिफ़िक हाउसिंग फोरम के दौरान प्रदान किया गया है. पुरस्‍कार समारोह के दौरान, यह विशेष रूप से उल्‍लेखित किया गया कि बांदा जिले में शुरू किया गया 'कुआं-तालाब जिलाओं अभियान' और 'भूजल बढ़ाओ-पेयजल बढ़ाओ अभियान' भूसंरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों में एक सबसे बेहतरीन प्रयास है. 



जिसमें प्राकृतिक तरीके से पुनर्जीवित देने का सफल प्रयास किया जा रहा है. इस अभियान की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी तरह का सरकारी या गैर-सरकारी निवेश नहीं किया जा रहा है. यह अभियान के तहत, गांव वालों ने को जागरूक कर उन्‍हें प्राकृतिक तरीके से कुंआ और तालाब को जिंदा करने की तरकीब बताई जा रही है. 
 
इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बांदा के जिलाधिकारी ने बताया कि आदिकाल से कुआं और तालाब पानी के प्राकृतिक जल स्रोत रहे हैं. अनभिज्ञता और लापरवाही के चलते कुआं और तालाबों की उपेक्षा की गई, जिसके फल स्‍वरूप ये प्राकृतिक जल स्रोत सूखते चले गए. 


उन्‍होंने बताया कि अभियान के तहत, ग्रामीण लोगों को कुआं और तालाब की उपयोगिता समझाते हुए उनके संरक्षण के बारे में बताया जा रहा है. गांवों में दैनिक इस्‍तेमाल में आने वाले पानी और बारिश के पानी के संचयन के तरीकों के बाबत लोगों को जानकारी दी जा रही है. 


उन्‍होंने बताया कि अभियान के शुरू हुए अभी महज नौ महीने का समय बीता है, इस समया‍वधि में जिले के कई गांवों के कुओं और ताबाल को पुनर्जीवित करने का काम सफलता पूर्वक पूरा किया गया है. इस अभियान के तहत, लक्ष्‍य रखा गया है कि प्राकृतिक तरीकों से जिले को सूखे की मार से बाहर निकाल लिया जाए.