DNA ANALYSIS: टर्की की `असहनशीलता` के `कायल` आमिर खान!
आमिर खान को भारत में तो डर लगता है, लेकिन टर्की जैसे कट्टर इस्लामिक और भारत विरोधी देश, उन्हें बहुत अच्छे लगते हैं.
नई दिल्ली: आमिर खान को भारत में तो डर लगता है, लेकिन टर्की जैसे कट्टर इस्लामिक और भारत विरोधी देश, उन्हें बहुत अच्छे लगते हैं. दो दिन पहले आमिर खान ने टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मुलाकात की और अपनी नई फिल्म पर चर्चा की, लेकिन इस मुलाकात के बाद उनकी बहुत आलोचना हो रही है. आमिर खान देश के बड़े कलाकार हैं और एक कलाकार के नाते हम उनका सम्मान भी करते हैं. लेकिन आज उनकी आलोचना कुछ हद तक सही भी है. क्योंकि खुद आमिर खान कुछ वर्ष पहले, भारत की असहनशीलता की बात करते थे और ये कहते थे कि उन्हें और उनके परिवार को भारत के माहौल से डर लगता है, लेकिन अब टर्की जैसे देश की असहनशीलता और उसका भारत विरोधी रवैया, आमिर खान जैसे अभिनेता को नजर नहीं आया.
दोहरे मापदंड
आमिर खान ने टर्की के राष्ट्रपति की पत्नी से मुलाकात करने में कोई हिचक नहीं दिखाई. वैसे तो कोई भी सेलिब्रिटी, किसी से भी मिल सकता है, और आमिर खान जैसे अभिनेता, किसी के हिसाब से चलने के लिए बाध्य नहीं है. लेकिन उन्हें ये भी देखना होगा कि सार्वजनिक जीवन में कहीं उनके दोहरे मापदंड तो नहीं दिख रहे हैं.
यही आमिर खान कहते थे कि भारत बहुत असहनशील हो गया है, और यही आमिर खान अब टर्की जैसे देश की असहनशीलता को भूल कर, वहां के राष्ट्रपति की पत्नी के साथ मुलाकात कर रहे हैं, जबकि ये दुनिया जानती है कि कैसे टर्की में वहां के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोऑन की तानाशाही चल रही है और जिस तानाशाही ने टर्की को एक सेक्युलर देश से कट्टर इस्लामिक और असहनशील देश बना दिया है.
दुनिया ये भी जानती है कि टर्की कैसे भारत का विरोध करता है और किस तरह से पाकिस्तान का समर्थन करता है. फिर भी आमिर खान को ये सब दिखाई नहीं दिया. उनके लिए अपने कथित सिद्धांतों और अपने देश से बढ़कर, अपनी नई फिल्म और उस फिल्म की टर्की में हो रही शूटिंग है. इसलिए वो टर्की के राष्ट्रपति के परिवार से मुलाकात करके उन्हें एक तरह से खुश करने में लग गए. इसीलिए लोग सवाल उठा रहे हैं, और ये पूछ रहे हैं कि अब आमिर खान को असहनशीलता क्यों याद नहीं आ रही.
भारत में डर, टर्की पर गर्व
आज से पांच साल पहले, वर्ष 2015 में आमिर खान ने भारत की असहनशीलता पर क्या कहा था. ये हम उन्हें फिर से याद दिला देते हैं. तब उन्होंने यहां तक कह दिया था कि भारत के माहौल में उनका परिवार देश छोड़कर जाने के बारे में सोच रहा था.
आमिर खान को भारत में डर लगता है लेकिन उन्हें टर्की पर गर्व है. इसलिए इस विरोधाभास के बीच हमें वर्ष 2015 का एक किस्सा याद आ रहा है. पांच वर्ष पहले उन्होंने पत्रकारिता के लिए दिए जाने वाले रामनाथ गोयनका अवार्ड में हिस्सा लिया था. तब वहां मुझे भी पुरस्कार मिला था. उस कार्यक्रम में आमिर खान ने भारत के असहनशील होने की बात कही थी. उसी कार्यक्रम में मैंने उनसे इसी पर सवाल किया था कि दो अलग अलग घटनाओं पर अपनी अपनी सुविधा के हिसाब से लोग प्रतिक्रिया क्यों देते है ? ये वो वक्त था, जब दादरी में अखलाक की हत्या के बाद अवॉर्ड वापसी गैंग सक्रिय हो गया था और पूरे देश को असहनशील बता दिया गया था और दूसरी तरफ जब उसी समय जम्मू कश्मीर में सेना के जवान शहीद हो रहे थे, तो कोई इस पर बात नहीं कर रहा था. मैंने आमिर खान से यही पूछा था कि आखिर इस तरह के दोहरे मापदंड क्यों अपनाए जाते हैं.
आमिर के लिए टर्की ज्यादा सहनशील
अपने ही देश में आमिर खान को डर लगता था, जो देश सच्चे अर्थ में धर्मनिपरेक्ष है, जहां कलाकार को किसी जाति या धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाता. जहां हिंदू बहुसंख्यक समाज में भी एक मुस्लिम होने की वजह से किसी कलाकार के काम, उसकी निजी जिंदगी या करियर में आगे बढ़ने की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ता. आमिर खान आज दौलत और शोहरत के जिस मुकाम पर हैं, वो इसी देश के करोड़ों लोगों की वजह से हैं. फिर भी आमिर खान के लिए भारत नहीं, वो टर्की सहनशील है, जहां मुस्लिम कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहे राष्ट्रपति अर्दोऑन की दुनिया भर में आलोचना होती है.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाया सोफिया है. ये टर्की के शहर इस्तांबुल में एक बहुत मशहूर और प्राचीन म्यूजियम था जिसे अर्दोऑन के राज में कुछ हफ्ते पहले ही मस्जिद में बदल दिया गया. इसकी दुनिया भर में बहुत आलोचना हुई थी. कभी सेक्युलर देश रहे टर्की का अर्दोऑन ने इस तरह से इस्लामीकरण कर दिया है कि ये देश यूरोप और अमेरिका का साथ छोड़कर, अब पाकिस्तान जैसे आतंकवादी देश के साथ खड़ा है.
अर्दोऑन दुनिया भर के मुस्लिमों को एकजुट करने की बात करके नया caliphate स्थापित करना चाहते हैं और खुद को मुस्लिम दुनिया का सबसे बड़ा नेता साबित करना चाहते हैं.
इसलिए आमिर खान से सवाल ये है कि वो टर्की जैसे कट्टर इस्लामिक देश के प्रति अपनी पसंद जाहिर करके, भारत में अपने करोड़ों फैंस को क्या संदेश देना चाहते हैं? क्योंकि इससे एक बात साफ तौर दिख रही है कि हमारे यहां इस तरह के कलाकारों को भारत तो धर्मनिपरेक्ष चाहिए, लेकिन ऐसे कलाकारों को टर्की जैसे देशों की कट्टर इस्लामिक छवि अच्छी लगती है.
लोग अब ये भी सवाल कर रहे हैं कि आमिर खान जैसे अभिनेता, इजरायल के नेताओं का बायकॉट करते हैं, लेकिन टर्की जैसे इस्लामिक देश के राष्ट्रपति की पत्नी से मिलने में इन्हें कोई दिक्कत नहीं है. आपको याद होगा कि वर्ष 2018 में जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत के दौरे पर आए थे और मुंबई में उनका एक कार्यक्रम था, तो उस कार्यक्रम में आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान नहीं गए थे.
टर्की का भारत विरोधी चरित्र
कोई भी व्यक्ति देश से बड़ा नहीं होता. फिर चाहे वो फिल्मी कलाकार हो या फिर कोई और हो. दुनिया में ऐसे बहुत देश हैं, जहां आमिर खान अपनी फिल्म की शूटिंग कर सकते थे, लेकिन उन्होंने टर्की को ही चुना. जबकि टर्की का भारत विरोधी चरित्र सब जानते हैं. टर्की उन गिने चुने देशों में है, जो अक्सर भारत विरोधी बातें करता है. टर्की के इसी भारत विरोधी रवैये की वजह से, वो उन देशों में शामिल है, जहां जाने के लिए भारत ने अपने नागरिकों को ट्रैवल एडवाइजरी जारी की थी.
इस साल फरवरी में जब दिल्ली में दंगे हुए थे तो टर्की के राष्ट्रपति ने भारत को एक ऐसा देश बताया था जहां बड़े पैमाने पर मुसलमानों का नरसंहार होता है और ये भी कहा था कि भारत विश्व शांति के लिए खतरा है. फरवरी में भी अर्दोआन ने पाकिस्तान का दौरा किया था और भारत पर कश्मीरियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. कश्मीर के मामले में हमेशा टर्की, पाकिस्तान का समर्थन करता है और उसके भारत विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देता है. पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों का भी दुनिया के हर मंच पर टर्की बचाव करता है.
जिन लोगों को भारत में डर लगता है उन्हें हम चीन से जुड़ी एक तस्वीर के बारे में बताना चाहते हैं. चीन के Xinjiang (शिनजियांग) प्रांत में एक मस्जिद की जगह पर Public Toilet यानी सार्वजनिक शौचालय बना दिया गया है. इसलिए अब सवाल ये है कि क्या इस्लाम के रहनुमा चीन की आलोचना करेंगे? क्या आमिर खान इस पर सवाल उठाएंगे ? क्या टर्की के राष्ट्रपति इसका विरोध करेंगे ? और जो लोग एक फेसबुक पोस्ट पर पूरे शहर को आग के हवाले कर देते हैं, क्या वो लोग चीन का विरोध ऐसे ही कर पाएंगे? ये वो महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनके बारे में आज आपको सोचना चाहिए.
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