DNA ANALYSIS: चीन में All is well होने का दावा झूठा?
पिछले कुछ दिनों में स्पेन, चेक रिपब्लिक, नीदरलैंड्स और टर्की सहित दुनिया के कई देशों ने चीन से खरीदी गई मेडिकल सप्लाई को वापस लौटा दिया है. इन सभी में एक ही दिक्कत है कि इनकी क्वालिटी ठीक नहीं है. कुल मिलाकर चीन के लिए ये वायरस, बिजनेस के एक बड़े मौके की तरह है.
अब बात पाकिस्तान के दोस्त चीन की. चीन कैसे अब भी कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया को गुमराह कर रहा है. ये हम आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के स्वास्थ्य को लेकर एक अपडेट दे देते हैं. जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अब ICU में भर्ती हैं. यानी ये वायरस ना को किसी का ओहदा देखता है, ना उसकी शक्ति से प्रभावित होता है और ना ही धर्म और जाति के नाम पर भेद भाव करता है. और ना ही इस वायरस को अमीरी और गरीबी से कोई फर्क पड़ता है.
उदाहरण के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली और अमीर देश अमेरिका में इस वायरस से कम से कम 2 लाख लोगों के मारे जाने की आशंका है. भारत में अब राज्य सरकारें लॉकडाउन को बढ़ाकर संक्रमण को फैलने से रोकना चाहती हैं. लेकिन चीन के कई शहरों में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन की जगह टूरिज्म बढ़ रहा है.
चीन में अनहुई प्रांत के Huangshan Mountain Range में लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है. चीन में अब बड़े-बड़े 29 टूरिस्ट स्पॉट को लोगों के लिए दोबारा खोल दिया गया है. और वहां जाने के लिए किसी एंट्री टिकट की भी जरूरत नहीं है. ऐसा करके चीन टूरिस्ट की संख्या बढ़ाना चाहता है, उसकी कोशिश है कि ऐसी तस्वीरें वो दुनिया को दिखाए और बताए कि चीन में अब ऑल इस वेल है. और उसने कोरोना वायरस के संक्रमण को पूरी तरह से खत्म कर दिया है.
चीन का सरकारी मीडिया भी ऐसी ही तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है. वहां पर मीडिया को स्वतंत्र रिपोर्टिंग करने की आजादी नहीं है, और वो चीन की सरकार के आदेशों के मुताबिक ही काम करता है. लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन का ऑल इज वेल होने का दावा झूठा है. और ऐसा करके चीन दुनिया के सामने अपनी इमेज को बेहतर दिखाने की कोशिश कर रहा है.
Caixin(कैक्सिन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की फैक्ट्रियों में लाइट्स ऑन हैं, मशीनें काम कर रही हैं, लेकिन किसी वस्तु का उत्पादन नहीं हो रहा है. यानी ये सिर्फ एक दिखावा है. चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी Xinhua (शिन्हुआ) के मुताबिक कृषि से जुड़े 88 प्रतिशत उद्योगों को दोबारा शुरू कर दिया गया है. 89 प्रतिशत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है और बिजली की खपत फिर से 90 प्रतिशत तक पहुंच गई है. चीन के इन बड़े दावों की स्वतंत्र जांच करना नामुमकिन है. इससे पहले भी चीन पर जीडीपी, विदेशी निवेश और बेरोजगारी के आंकड़ों में छेड़छाड़ करने के आरोप लगते रहे हैं.
चीन में उत्पादन का काम इस वर्ष के पहले दो महीनों में सबसे कम रहा है, लेकिन मार्च में अचानक उत्पादन में तेजी आ गई है. एक और मीडिया रिपोर्ट से चीन की सच्चाई दुनिया के सामने आ गई है. Caixin(कैक्सिन) के मुताबिक चीन के अलग-अलग प्रांतों पर वहां की केंद्रीय सरकार का दबाव है. उन्हें रुके हुए कामों को पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है. इसलिए वो डेटा में बदलाव करके चीन की अर्थव्यवस्था के ICU से बाहर निकलने का दावा कर रहे हैं. अब आप समझिए कि चीन की फैक्ट्रियों के पास काम की कमी क्यों है? पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस से मुकाबला कर रही है, इसलिए इन फैक्ट्रियों के पास ऑर्डर की कमी है. इस वर्ष जनवरी और फरवरी में चीन के एक्सपोर्ट में 17 प्रतिशत की कमी आई है.
हालांकि चीन की फैक्ट्रियों को काम ना मिलने की वजह भी चीन ही है. क्योंकि चीन के बड़े ग्राहक इस समय चीन से ही शुरू हुए कोरोना वायरस पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं. और चीन किसी शातिर बिजनेसमैन की तरह इस संकट को एक मौके में बदलने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका की एक साप्ताहिक मैगजीन SPECTATOR के मुताबिक कुछ दिनों पहले इटली ने चीन को Personal Protective Equipments का गिफ्ट भेजा था. लेकिन अब चीन इसी मेडिकल सप्लाई को वापस इटली को बेच रहा है. यानी मुसीबत के समय इटली ने चीन की मदद की थी, लेकिन अब इटली की मदद करने के बदले चीन उसका फायदा उठा रहा है.
पिछले कुछ दिनों में स्पेन, चेक रिपब्लिक, नीदरलैंड्स और टर्की सहित दुनिया के कई देशों ने चीन से खरीदी गई मेडिकल सप्लाई को वापस लौटा दिया है. इन सभी में एक ही दिक्कत है कि इनकी क्वालिटी ठीक नहीं है. कुल मिलाकर चीन के लिए ये वायरस, बिजनेस के एक बड़े मौके की तरह है.