DNA Analysis:  वर्ष 1957 में एक फिल्म आई थी - मदर इंडिया. अगर ये फिल्म आपने देखी होगी तो सुक्खी लाला का किरदार तो आपको याद ही होगा. जिससे उधार लिये कर्ज की रकम चुकाते-चुकाते किसान मर जाते थे मगर सुक्खी लाला का ब्याज कभी चुकता नहीं होता था. जब ये फिल्म आई थी, उस समय सुक्खी लाला जैसे लालची साहूकर गरीबों और जरूरतमंद लोगों का शोषण कर रहे थे और सुक्खी लाला, कर्ज के बदले उनके जेवर और जमीनें छीन लेते थे. जिसकी वजह से कई बार लोग सुसाइड करने को मजबूर हो जाते थे. अब डिजिटल दौर में भी ऐसे ही हालात पैदा हो गये हैं, जिसमें चाइनीज़ लोन एप्स सुक्खी लाला के रोल में है. जिनसे लिये गये लोन को चुकाते-चुकाते लोग मर रहे हैं. अपने पूरे परिवार को मारकर सुसाइड करने पर मजबूर हो रहे हैं. 


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मध्य प्रदेश में चाइनीज़ लोन एप्स से लिये लोन के जाल में फंसकर एक हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया. इंदौर में पत्नी और दो बच्चों को मारकर एक इंजीनियर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. अपने नाती-पोतों को गोद में खिलाने की उम्र में दादा और नाना को उनके शव गोद में उठाकर चलना पड़ा और इसकी जिम्मेदार हैं - वो लोन एप्स, जिनसे इंजीनियर अमित यादव ने लोन ले रखे थे, जिनके ऊंचे ब्याज को चुकाते-चुकाते उसकी हिम्मत जवाब दे गई  और आखिर में उसके पास अपने परिवार को मारकर खुदकुशी करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा. 


ये सुसाइड की कोई सामान्य खबर नहीं है, बल्कि मौत के सौदागर बनकर लोगों की जिंदगी छीन लेने वाले चाइनीज़ लोन एप्स से खबरदार करने वाली चेतावनी है. पत्नी और बच्चों को मारकर सुसाइड करने वाले इंजीनियर अमित यादव ने जो सुसाइड नोट छोड़ा है, वो इन लोन एप्स के खिलाफ गवाही देता है , जिसमें उसने अपने इस कदम के लिए लोन एप्स से लिये गये लोन को जिम्मेदार बताया है. 


सुसाइड नोट में क्या लिखा 


अमित ने सुसाइड नोट में लिखा, जीने की इच्छा मेरी भी है पर मेरे हालात अब ऐसे नहीं रहे. आदमी मैं बुरा नहीं हूं. इसमें किसी की कोई गलती नहीं है, मेरी ही है. मैंने कई ऑनलाइन एप से लोन ले रखा है. जैसे True Balance, Mobi Pocket, Money View, Smart Coin, Rufilo  पर मैं लोन नहीं भर पा रहा हूं.  इज्जत के डर से ये कदम उठा रहा हूं. 


अमित पर करीब तीन लाख रुपए का कर्ज था. सुसाइड नोट में उसने ये भी लिखा कि मरने के बाद लोन चुकाने की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए मेरे परिवार का कोई भी सदस्य लोन की किश्तें जमा न करें. अमित ने ये भी लिखा कि मेरे बैंक अकाउंट में करीब 850 रु. है. मैं अपनी इच्छा से इसे मेरे भाई और दोस्त जिसने कदम-कदम पर मेरा साथ दिया उसे ट्रांसफर कर रहा हूं. डिप्रेशन बहुत है और अब ये सहन नहीं होता. 


आप सोचिये, एक इंजीनियर, जिसने सिर्फ तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था, वो उसे चुका क्यों नहीं पाया ? आखिर उसे लोन देने वाली चाइनीज़ एप्स का ऐसा क्या दबाव था कि उसने पहले अपनी तीन साल की बेटी याना, डेढ़ साल के बेटे दिव्यांश और पत्नी टीना को जहर देकर उनकी जान ले ली, और फिर खुद भी फंदे पर झूल गया. 


चाइनीज़ लोन एप्स के जाल में फंसकर जान गंवाने वाला इंदौर का परिवार अकेला नहीं है. बल्कि अबतक एप्स के जरिये लोन के चक्कर में पड़कर सैकड़ों लोग सुसाइड कर चुके हैं. बिहार से लेकर मध्य प्रदेश, तेलंगाना और बंगाल तक कई राज्यों में पिछले कुछ समय में 15 से ज्यादा लोगों ने मौत को गले लगा लिया. इन लोगों ने Chinese Loan Apps की मदद से लोन लिया था और चुका न पाने पर इतना प्रताड़ित किया गया कि इन्हें सुसाइड का रास्ता आसान लगा.


एप्स के इस दलदल का डीएनए टेस्ट


इसलिए आज हम चाइनीज़ लोन एप्स के इस दलदल का DNA टेस्ट कर रहे हैं जिसमें अगर आप एक बार फंस गए तो फिर धंसते ही चले जाएंगे, क्योंकि ये Apps अपने टारगेट को एक बार लोन देने के बाद उससे दस गुना तक ज्यादा रकम ऐंठ लेते हैं और उनका विरोध करने वालों की ब्लैकमेलिंग भी करते हैं.


हाल ही में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ऐसे ही चाइनीज़ लोन ऐप फ्रॉड को पकड़ा था. इस मामले में 22 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. ये गैंग लोगों को Instant Loan App की मदद से अपना शिकार बनाता था, जिसके जरिये लोगों के मोबाइल में रिकॉर्ड पर्सनल डेटा की चोरी करते थे और फिर ब्लैकमेल के जरिये लोन अमाउंट से कई गुना ज्यादा रकम वसूली जाती थी. बाद में इस पैसे को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी की मदद से चीन भेज दिया जाता था.


अब हम आपको लोन एप फ्रॉड की क्रोनोलॉजी भी समझाते हैं, ताकि आप ऐसे किसी झांसे में ना आएं. 


चीन और हांगकांग में अलग-अलग तरह के लोन एप तैयार किये जाते हैं, बाद में इनको गूगल प्ले स्टोर पर डाला जाता है. इसके बाद लोगों को मोबाइल फोन पर तुरंत लोन देने का ऑफर देने वाले मैसेज भेजे जाते हैं, जिनमें फर्जी लोन एप्स के लिंक होते हैं. इन लिंक्स के जरिये लोग, अपने मोबाइल फोन में लोन एप्स को डाउनलोड कर लेते हैं.


लोन एप्स पर रजिस्टर करने के लिए मोबाइल फोन के डेटा, कॉन्टेक्ट लिस्ट और फोटो गैलरी एक्सेस करने की परमीशन देनी जरूरी होती है. जैसे ही लोग परमीशन देते हैं, लोन एप के जरिये लोगों के मोबाइल का पूरा डेटा और तस्वीरें चाइनीज़ सर्वर में अपलोड हो जाती है.


इसके बाद यूजर के बैंक खाते में लोन अमाउंट ट्रांसफर कर दिया जाता है. इसके बाद शुरु होता है उगाही का असली खेल.


- पहले तो लोन लेने वाले व्यक्ति से प्रोसेसिंग फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है. इसके बाद लोन पर ब्याज दर को मनमाने तरीके से बढ़ा दिया जाता है जो 36 फीसदी तक पहुंच जाती है.


जिन यूजर्स को 5 से 10 हजार की जरूरत होती थी उनसे एक लाख रुपए तक वसूले जाते हैं. लेकिन ये खेल यहीं खत्म नहीं होता. लोन चुकाने के बाद भी यूजर्स से और ज्यादा रकम की डिमांड की जाती है.


जो लोग ऐसा करने से मना कर देते हैं,उन्हें इंटरनेट पर फर्जी तस्वीरें वायरल करने की धमकी दी जाती है. उनकी Morphed अश्लील तस्वीरों को कॉन्टेक्ट लिस्ट में शामिल लोगों को भेज दिया जाता है.


एक बार जो शख्स इन लोन एप्स के जाल में फंसा, वो बस फंसता ही चला जाता है.  इंस्टेंट लोन एप के लालच में फंसकर अबतक लाखों लोग लुट चुके हैं. लोन एप्स गैंग्स का ये धंधा कोरोना महामारी के वक्त कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था. क्योंकि लंबे समय तक लगे लॉकडाउन के कारण लोगों के रोजगार खत्म हो गए थे, नौकरियां छूट गईं थीं .जिसका फायदा इन चाइनीज़ लोन एप्स के जरिये उगाही करने वाले अपराधियों ने उठाया.


Local Circles नाम की रिसर्च फर्म ने पिछले वर्ष एक सर्वे किया था. इस सर्वे में 409 जिलों में रहने वाले 27,500 से अधिक लोगों ने भाग लिया. सर्वे में शामिल 14 फीसदी भारतीयों ने कहा था कि उन्होंने या उनके किसी जानकार ने इंस्टेंट लोन एप के जरिए कर्ज लिया.


इनमें से करीब 58 फीसदी लोगों को 25 से लेकर 200 फीसदी तक सालाना ब्याज चुकाना पड़ा था. 54 फीसदी लोगों ने माना था कि भुगतान के दौरान उनसे जबरन वसूली की गई. अब हम आपको लोन एप्स के चक्कर में फंसे कुछ लोगों की केस स्टडी दिखाते हैं, जिनका लोन अमाउंट सिर्फ 5 महीने में 60 गुना तक बढ़ गया.


अभी आपने जिन लोगों की आपबीती सुनी. वो ये बताने के लिए काफी हैं कि भारत में फर्जी लोन एप्स के जरिये ठगी का ये ऑनलाइन धंधा कितने संगठित तरीके से चल रहा है, जिसको लेकर RBI ने एक जांच करवाई थी. RBI की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक...


फरवरी 2021 तक भारत में करीब 1100 इंस्टेंट लोन एप एक्टिव थीं, जो गूगल प्ले स्टोर जैसे प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध थीं. लेकिन इनमें से आधी से ज्यादा यानी करीब 600 लोन एप्स, गैरकानूनी तरीके से काम कर रही थीं. 300 एप्स की वेबसाइट हैं, लेकिन वहां उससे जुड़ी बेहद कम जानकारी दी गई है. और सिर्फ 90 ही ऐसे एप थे जिनका एड्रेस, इंटरनेट पर उपलब्ध था.  लेकिन अब गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ RBI ने बड़ा कदम उठाया है और डिजिटल लोन देने के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं.


कोई भी डिजिटल लेंडिंग कंपनी यानी लोन एप, ग्राहक की मर्जी के बगैर लोन नहीं बांट सकेगी और न ही लोन रिपेमेंट की अवधि बढ़ा पाएगी. नई गाइडलाइंस के मुताबिक अब सिर्फ RBI में रजिस्टर्ड कंपनियां या लोन एप्स ही ग्राहकों को डिजिटल लोन दे पाएंगी. 


इंस्टेंट लोन एप्स, अपने ग्राहकों से किसी भी तरह का कोई Hidden Charge नहीं वसूल सकतीं. इसके साथ ही कोई भी डिजिटल लेंडिंग कंपनी, ग्राहकों की निजी जानकारी को स्टोर नहीं करेंगी. इसके अलावा लोन रिपेमेंट पूरा हो जाने के बाद कंपनी को ग्राहक से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड डिलीट करना होगा.


साथ ही गाइडलाइंस में ये भी लिखा है कि लोन Disbursal और Re-payment सिर्फ ग्राहक और लोन देने वाली कंपनी के बैंक अकाउंट के बीच होगा, किसी थर्ड पार्टी के खाते का कोई रोल नहीं होगा. RBI ने ये गाइडलाइंस फर्जी लोन एप्स से लोगों को बचाने के लिए जारी की हैं. लेकिन आपको भी कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं. हम आपको इससे जुड़े कुछ टिप्स देते हैं.


फोन पर तुरंत लोन का कोई भी मैसेज आए तो उसे नजरअंदाज करें, और किसी लिंक पर क्लिक ना करें. लोन लेने से पहले कंफर्म कर लें कि आप जिस एप पर लोन अप्लाई कर रहे हैं, वो RBI की वेबसाइट पर रजिस्टर होलोन लेने से पहले प्रोसेसिंग फीस और अन्य खर्चों के बारे में जानकारी ले लें और लोन पेपर पर सिग्नेचर से पहले सभी नियम और शर्तें सावधानी से पढ़ लें. 


जिस तरह से भारत में फर्जी लोन एप्स के जरिये धोखाधड़ी और उगाही के रैकेट चल रहे हैं, हम बस आपसे यही कहना चाहते हैं कि ऐसी किसी भी एप से लोन लेने से पहले सतर्क रहिये, सावधान रहिये और हो सके तो लोन सिर्फ बैंकों की एप्स से ही लीजिये.


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