DNA Analysis: किसी इंसान को मौत के मुंह से निकालने की काबिलियत एक Doctor रखता है. जो इंसान की जिंदगी बचाने के लिए आखिरी पल तक कोशिश करता है. यकीनन दुनिया का कोई डॉक्टर नहीं चाहता कि उसके हाथ से किसी मरीज की मौत हो. इसलिए इंसान Doctors को धरती पर भगवान का दर्जा देता है. लेकिन इस साफ सुथरे पेशे को कुछ लोगों ने बदनाम कर दिया है. इन लोगों के लिए इंसान की जिंदगी से बढ़कर पैसा है. ये लोग पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं, यहां तक की Doctor Death भी बन सकते हैं.


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डॉक्टर डेथ के रैकेट का खुलासा


दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही Doctor Death के एक Racket का खुलासा किया है, पुलिस ने राजधानी के पॉश इलाके Greater Kailash के एक Medical Centre से चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो फर्जी Doctor शामिल हैं. इनपर आरोप है कि बिना डॉक्टर की पढ़ाई लिखाई किये, बिना किसी Degree के मरीजों की Surgery कर रहे थे और कई मरीजों की मौत की वजह बन गए थे. जिन चार लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है, उनमें


  • अग्रवाल Medical Centre का संचालक डॉक्टर नीरज अग्रवाल

  • नीरज अग्रवाल की पत्नी और फर्जी डॉक्टर पूजा अग्रवाल

  • फरीदाबाद के बड़े अस्पताल में कार्यरत Surgeon डॉक्टर जसप्रीत

  • और Lab Technician से फर्जी डॉक्टर बने महेंद्र को गिरफ्तार किया है


7 वर्षों में कई मरीजों की मौत


पुलिस की जांच में ये बात सामने आई है, कि Doctor नीरज अग्रवाल वर्ष 2005 से Greater Kailash Part-1 के E Block में मेडिकल सेंटर चला रहा था. डॉक्टर नीरज अग्रवाल पर आरोप है कि वो फर्जी Doctors से मरीजों का ना सिर्फ इलाज करा रहा था, बल्कि सर्जरी तक कराता था. जिस वजह से पिछले 7 वर्षों में कई मरीजों की मौत हुई. नीरज के Medical Centre में एक आरोपी और फर्जी डॉक्टर पूजा पहले से काम करती थी, जिससे बाद में डॉक्टर नीरज ने शादी कर ली. डॉक्टर नीरज से शादी के बाद पूजा भी खुद को डॉक्टर समझने लगी. इसी Medical Centre में Lab Technician रहा महेंद्र नाम का एक आरोप Doctor बनकर Surgery किया करता था.


लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़


फर्जी डॉक्टर महेंद्र को Call पर सर्जरी के लिए बुलाया जाता था. सर्जरी फर्जी डॉक्टर बनी पूजा और महेंद्र करते. लेकिन इलाज के Papers पर साइन डॉक्टर जसप्रीत के हुआ करते थे. एक तरह से पैसों के लिए चारों मिलकर लोगों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे थे. जब दिल्ली पुलिस ने Medical Council के साथ मिलकर Medical Centre में Search Operation चलाया, तब कई चीजें पुलिस को मिली.


  • पुलिस को डॉक्टर जसप्रीत की साइन की हुई Blank पर्चियां मिली

  • मेडिकल से कई प्रतिबंधित दवाएं मिली

  • ऐसे Injection मिले, जिन्हें अस्पतालों में ही Store किया जा सकता है

  • Expiry Date के कई सारे सर्जिकल ब्लेड मिले

  • 47 बैंक Account की Cheque Book बरामद हुई

  • 47 बैंकों के 54 ATM कार्ड भी मिले

  • 6 POS Terminal Credit Card मशीन भी मिली.


कैसे हुआ खुलासा


पैसों के लालच में Doctor नीरज और जसप्रीत इतने अंधे हो गये थे. कि लंबे समय से लोगों का सही इलाज करने के बजाय मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे थे. पुलिस को जांच में पता चला है कि वर्ष 2016 से इस Medical Centre की शिकायत Medical Council को मिल रही थी. लेकिन कभी आरोपियों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, आरोपी कैसे बचते रहे और अब Doctor Death बन चुके नीरज अग्रवाल और उसके गिरोह का खुलासा कैसे हुआ. इलाज के नाम पर कई लोगों की जान इसी अग्रवाल मेडिकल सेंटर में ली गई. और वजह बने फर्जी डॉक्टर. जिसका खुलासा अब जाकर हुआ है. शायद यहां डॉक्टर डेथ बन चुके फर्जी डॉक्टर ऐसे ही लोगों को मौत के मुंह में धकेलते रहते अगर एक मरीज के परिजनों ने आवाज ना उठाई होती.


जय नाराण की मौत


27 अक्टूबर को परिजन पथरी का दर्द होने पर जय नाराण को अग्रवाल मेडिकल सेंटर लेकर आए थे, आरोप है कि कुछ देर बाद ही जय नाराण की मौत हो गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि मौत ज्यादा खून बहने की वजह से हुई. मौत की वजह सामने आने के बाद परिजनों ने मेडिकल सेंटर के बाहर प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची. सितंबर 2022 में भी ऐसी ही घटना अली असगर के साथ हुई थी. 45 साल के अली असगर को पथरी की समस्या थी, उसे डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के लिए बोला था. ऑपरेशन के लिए अली को अग्रवाल मेडिकल सेंटर लाया गया. इलाज के कुछ ही देर बात अली असगर की मौत हो गई. बाद में परिजनों को पता चला कि सर्जरी डॉक्टर जसप्रीत को करनी थी. लेकिन ऐन वक्त पर सर्जरी फर्जी डॉक्टर पूजा और लैब टेक्निशियन रहे महेंद्र ने की.


फर्जी डॉक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज


अक्टूबर 2022 में ही नशीबून फर्जी डॉक्टर्स के खिलाफ केस दर्ज कराया था. तभी से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही थी. तो दूसरी तरफ पुलिस केस की जांच में जुटी थी, इस बीच ताजा घटनाक्रम ने इस रैकेट का पर्दाफाश कर दिया. डॉक्टर नीरज ने वर्ष 2005 में मेडिकल सेंटर शुरू किया था, लेकिन पैसों के लालच में उसने फर्जी डॉक्टर्स से सर्जरी कराना शुरू कर दिया. इसके लिए पूरा नेटवर्क काम करता था. सरकारी अस्पतालों में इनके एजेंट पहले से रहते थे, जो अग्रवाल मेडिकल सेंटर में मरीजों को भेजते थे. ऐसा ही एक शख्स सरकारी अस्पताल से इलाज के लिए अपनी पत्नी को यहां लेकर आया था. पूजा और महेंद्र के फर्जी डॉक्टर होने की बात सामने आ चुकी है, अब डॉक्टर नीरज और जसप्रीत की डिग्री की जांच की जा रही है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है, कि इस रैकेट में और कौन कौन लोग शामिल हैं.


अब यहां ताला लटका है


कभी इस मेडिकल सेंटर के बाहर मरीजों की भीड़ हुआ करती थी, अब यहां ताला लटका है. मेडिकल काउंसिल को अग्रवाल मेडिकल सेंटर के लाइसेंस को रद्द करने के लिए भी पुलिस ने पत्र लिखा है. फर्जी डॉक्टर, यानी एक ऐसा व्यक्ति जिसने डॉक्टर की पढ़ाई नहीं की है. और ना ही उसके पास किसी तरह का इलाज करने संबंधी कोई डिग्री है. फिर भी ऐसे लोग सिर्फ कुछ दिन किसी डॉक्टर के पास काम करने के बाद इलाज करने लगते हैं. ऐसे डॉक्टर को भारत में झोलाछाप कहते हैं. ऐसे झोलाछाप Doctors का भारत के हर हिस्से में नेटवर्क फैला हुआ है. भारत में फर्जी Doctors को लेकर वर्ष 2016 में WHO यानी विश्व स्वास्थय संगठन ने एक चौंकाने वाली Report जारी की थी.


  • रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 57.3 फीसदी डॉक्टर्स ने Medical की योग्यता नहीं है.

  • 18.8 फीसदी को ही modern medicine के लिए Qualified बताया गया था

  • एलोपैथिक के 31 फीसदी Doctors ने secondary levels तक पढाई की थी.

  • शहरी क्षेत्रों में 58.4 फीसदी एलोपैथिक Doctors को योग्य बताया गया था

  • जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 18.8 फीसदी को एलोपैथिक Doctors योग्य बताया


विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट


विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने ये कहकर गलत बताया था, कि रिपोर्ट 7 वर्ष पुराने आंकड़ों पर आधारित है. जोकि भारत की मौजूदा स्थिति को पेश नहीं करती. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप Doctors की समस्या ज्यादा गंभीर है. Centre for Policy Research ने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी डॉक्टर्स पर रिसर्च की थी. CPR ने भारत के 19 राज्यों के 1519 गांव में डॉक्टर्स के आंकड़े जुटाए. रिसर्च से पता चला कि 86 फीसदी डॉक्टर प्राइवेट Medical Practitioner हैं. इनमें से 68 फीसदी ऐसे डॉक्टर पाए गए जिन्होंने कोई Medical Training नहीं ली थी. रिसर्च से पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में 3 में से 2 डॉक्टर्स झोलाछाप हैं. महंगे इलाज की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोग झोलाछाप डॉक्टर्स के पास चले जाते हैं. ग्रमीण इलाकों में इलाज कर रहे इन झोलाछाप डॉक्टर्स की शिकायत भी कम ही मिलती हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इलाज के दौरान 20 फीसदी मरीजों की मौत फर्जी डॉक्टर्स के इलाज करने की वजह से हो जाती है.


झोलाछाप डॉक्टर्स के खिलाफ सख्त नियम कानून


किसी भी डॉक्टर के बारे में सही जानकारी NMC यानी National Medical Commision की वेबसाइट पर ली जा सकती है. यहां डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन नंबर को चेक किया जा सकता है. अगर नंबर नहीं मिलता है तो इसका मतलब डॉक्टर फर्जी है. भारत में झोलाछाप या फर्जी डॉक्टर्स के खिलाफ सख्त नियम कानून बने हुए हैं. साथ ही सजा का प्रावधान भी है. जिसके तहत अगर अगर कोई अप्रशिक्षित और अयोग्य व्यक्ति किसी मरीज का इलाज करे तो


  • फर्जी डॉक्टर के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 419, 420 के तहत केस दर्ज होता है.

  • इसके अलावा Indian Medical Council Act की धारा 15 के आर्टिकल 3 के तहत सजा का प्रावधान है

  • इस एक्ट में फर्जी डॉक्टर को दो साल तक की सजा हो सकती है.

  • अगर डिग्री फर्जी हैं तो धारा 468, 471 के तहत भी कार्रवाई का प्रावधान है


भारत में लाइलाज होती Fake Doctors की बीमारी


इस सबके बावजूद भारत में Fake Doctors की संख्या बढ़ती जा रही है. जिससे देश की राजधानी भी नहीं बची है. वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक Delhi Medical Council ने दिल्ली पुलिस को 565 फर्जी डॉक्टर्स का data दिया था, जिनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई थी. इसलिए भारत में लाइलाज होती Fake Doctors की इस बीमारी का इलाज करना जरूरी हो गया है.