नई दिल्ली: झारखंड में धनबाद के डिस्ट्रिक्ट जज उत्तम आनंद की हत्या कर दी गई. इससे पहले पुलिस इस पूरे मामले को एक सड़क दुर्घटना मान रही थी, लेकिन जब घटना के सभी CCTV वीडियो की जांच की गई तो इसमें हत्या का एंगल सामने आया.


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इनमें एक CCTV फुटेज में साफ दिखाई दिया कि जब जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक के लिए जा रहे थे, उसी समय वहां एक ऑटो रिक्शा आया, जो पहले तो सड़क के बीचों बीच सीधे चल रहा था, लेकिन बाद में ये ऑटो जज उत्तम आनंद की तरफ बढ़ा और उन्हें टक्कर मार कर, वहां से निकल गया.


ऐसा भी कहा जा रहा है कि जज उत्तम आनंद को अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई, जैसा कि भारत में लगभग हर दूसरी सड़क दुर्घटना में देखा जाता है. उन्हें अस्पताल पहुंचाने वाले लोग ये भी नहीं जानते थे कि वो धनबाद की जिला अदालत के जज हैं. कई घंटों तक अस्पताल और पुलिस को भी इसके बारे में जानकारी नहीं थी. हालांकि जब तक इसके बारे में पता चला तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.


FIR दर्ज करने में देरी 


ये भी आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज करने में देरी की. हमारे देश की अलग अलग अदालतों से आपको ऐसी लाखों केस स्टडीज मिल जाएंगी, जिनमें जजों द्वारा ये टिप्पणी की गई है कि न्याय में देरी अदालत ने नहीं, बल्कि पुलिस थानों से शुरू होती है और इसका पहला पड़ाव FIR ही है. लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि एक जज को भी उसकी हत्या के बाद उचित कानूनी कार्रवाई का न्याय नहीं मिल पाया.


हालांकि पुलिस ने कई घंटों के बाद इस मामले में हत्या का केस दर्ज कर लिया है और जिस ऑटो रिक्शा से जज उत्तम आनंद को टक्कर मारी गई थी, उसे भी पुलिस ने धनबाद के ही झरिया शहर से जब्त किया है.


शुरुआती जांच में पता चला है कि ये ऑटो रिक्शा भी चोरी का था और इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को भी गिरफ्तार किया है. यानी ऐसे कई ठोस सबूत हैं, जिनसे ऐसा प्रतीत होता है कि जज उत्तम आनंद की हत्या को हादसे की शक्ल देने के लिए पहले से योजना बनाई गई थी.


सुप्रीम कोर्ट को भी इस पूरे मामले की जानकारी दी गई और कोर्ट ने इस मामले की जांच CBI को सौंपने के लिए कहा गया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे मामले की जानकारी है और झारखंड हाई कोर्ट ने खुद इस पर स्वत: संज्ञान लिया है.


समझने वाली बात ये है कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रविरंजन ने खुद FIR में देरी पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि हाई कोर्ट खुद इस पूरे मामले की निगरानी करेगा.


हाई प्रोफाइल मामलों से कनेक्शन 


धनबाद के डिस्ट्रिक्ट जज उत्तम आनंद कई हाई प्रोफाइल मामलों में सुनवाई कर रहे थे, इसलिए उनकी हत्या को अब उन मामलों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. हम आपको इनमें से कुछ बड़े मामले बताते हैं.


-जज उत्तम आनंद ने इस घटना से दो दिन पहले ही धनबाद के चर्चित नीरज सिंह हत्याकांड मामले में दो गैंगस्टर्स की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. नीरज सिंह धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर थे और उनकी हत्या AK-47 रायफल से की गई थी.


-उत्तम आनंद झारखंड के हाई प्रोफाइल रंजय हत्याकांड मामले में भी सुनवाई कर रहे थे और इस मामले में उन्होंने पिछले दिनों हत्या के आरोपी अमन सिंह की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी. रंजय सिंह का संबंध धनबान के बाहुबली संजय सिंह के परिवार से बताया जाता है, जो झरिया से पहले बीजेपी विधायक थे और अभी नीरज सिंह हत्याकांड में जेल में बंद हैं.


-इसके अलावा कोयला चोरी के एक मामले में Bharat Coking Coal Limited के General Manager और प्रोजेक्ट ऑफिसर के खिलाफ भी धनबाद की जिला अदालत में सुनवाई होने वाली थी. इस मामले में जमानत अर्जी दाखिल हुई थी और कहा जा रहा है कि जज उत्तम आनंद ही इस पर सुनवाई करने वाले थे.



-धनबाद के एक बड़े जमीन घोटाले और कांग्रेस के एक नेता से संबंधित मामले में भी जमानत को लेकर धनबान की जिला अदालत में सुनवाई होने वाली थी.


ये वो तमाम बड़े मामले हैं, जिन्हें अब जज उत्तम आनंद की मौत को हत्या के एंगल से देखा जा रहा है और इस मामले की जांच के लिए SIT बना दी गई है. हालांकि इस मामले के बाद आज एक बार फिर धनबाद की देश में चर्चा हो रही है.


धनबाद की छवि 


धनबाद, झारखंड ही नहीं पूरे देश में कोयले की बड़ी खदानों के लिए जाना जाता है. धनबाद में कोयले की कुल 112 खदानें हैं, जिनसे हर साल 2 करोड़ 70 लाख टन कोयले का उत्पादन होता है और इस उत्पादन से झारखंड की सरकार को हर साल 700 करोड़ रुपये मिलते हैं, लेकिन यही कोयला धनबाद को वर्षों से सुलगा रहा है. अपराध हो या फिर देश की पूर्व UPA सरकार में हुआ कोयला घोटाला धनबाद की छवि कोयले जैसी काली रही है.


वर्ष 2012 में आई फिल्म Gangs of Wasseypur में दिखाया गया था कि धनबाद अपराध की ऐसी ट्रेन में सवार है, जो कोयले से चलती है और जिसका रिमोट कंट्रोल गैंगस्टर्स के पास है. 


जज उत्तम आनंद की हत्या ने एक बार फिर धनबाद की कानून व्यवस्था की तरफ देश का ध्यान खींचा है और हम भी चाहते हैं कि न्याय देने वाले जज को इस मामले में न्याय जरूर मिलना चाहिए.