नई दिल्ली: सिखों के पहले गुरु गुरु नानक (Guru Nanak) का एक प्रसिद्ध कथन है. जिसमें वो कहते हैं कि नानक दुखिया सब संसार. यानी जो लोग सुखी होने का दावा करते हैं वो भी किसी ना किसी बात से दुखी हैं और जो दुखी हैं वो तो दुखी है हीं. गुरुनानक ने ये बात करीब 500 वर्ष पहले कही थी. इतना समय बीतने के बाद भी इंसान के दुखों में कोई कमी नहीं आई बल्कि बीते कुछ साल में ये दुख और बढ़ गया है. दरअसल गैलप (Gallup) नाम की एक कंपनी ने वर्ष 2020 का Negative Experience Index यानी नकारात्मक अनुभवों के आकंड़े जारी किए हैं.


क्या बताता है निगेटिविटी इंडेक्स?


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शोध के मुताबिक पिछले साल लोगों ने जितनी नकारात्मकता (Negativity) महसूस की. इतनी तो उन्होंने बीते 15 साल में कभी नहीं की थी. इसके पीछे कोरोना वायरस (Coronavirus) को सबसे बड़ा कारण माना गया. सैंपल साइज की बात करें तो स्टडी में 116 देशों के 1 लाख 60 हजार लोग शामिल थे. इसमें 18 वर्ष से ज्यादा की उम्र के 10 में से 4 लोगों ने माना कि वो ज्यादातर समय डर और चिंता में रहे. वहीं 10 में से 3 लोगों ने शारीरिक दर्द बढ़ने की शिकायत की. इसी तरह 27 प्रतिशत लोगों ने उदास होने की बात मानी. वहीं 24 प्रतिशत लोगों ने माना कि उनका गुस्सा (Anger) पहले से ज्यादा बढ़ गया है.



'मुस्कुराने वालों की संख्या घटी'


इस सर्वे के मुताबिक वर्ष 2020 पूरी दुनिया के लोगों के लिए सबसे ज्यादा तनाव भरा साल था. वर्ष 2019 में 35 प्रतिशत लोगों ने तनाव (Stress) में होने की बात मानी थी तो इस बार ऐसा मानने वालों की संख्या बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई. इसी तरह दुनिया में रोज मुस्कुराने वाले लोगों की संख्या 75 प्रतिशत से घटकर 70 प्रतिशत रह गई. पिछले साल तनाव (Stress) का शिकार होने वाले लोगों में 19 करोड़ लोग और जुड़ गए.